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Svadeshi.blogspot.com का लक्ष्य

आयुर्वेद जो सनातन है, शाश्वत है। आयुर्वेद जो मात्र चिकित्सा पद्धति नहीं अपितु जीवन जीने का विज्ञान है। Svadeshi.blogspot.com के माध्यम से मेरी कोशिश है कि जीवन जीने की ये पद्धति पुनः भारत के जन-जन के जीवन में समा जाये। अंग्रेजों के आने से पहले भारत चिकित्सा, शिक्षा और अर्थव्यवस्था सभी क्षेत्रो में विश्व का सिरमौर था। लेकिन आज भारत बदल चूका है क्योंकि भारत के लोग बदल चुके है। वे सिर्फ देखने में भारतीय है। पहनावे, खान-पान, यहाँ तक की सोच से भी अंग्रेज बन चूका है। इस स्थिति में svadeshi.blogspot.com का लक्ष्य है कि कम से कम प्रत्येक भारतीय एक भारतीय जीवन शैली (आयुर्वेदिक जीवन शैली- भिजन का नियम, भोजन पकाने का नियम, पानी पीने का नियम, सोने का नियम आदि) के बारे में जाने।

निरोगी व लम्बी जीवन जीने के लिए आयुर्वेद के आसन नियमों का पालन पूरी सच्चाई के साथ करें। आपका स्वाथ्य आपके भी हाथो में है। महर्षि वाग्भट्ट ने बीमार ही न पड़ने की विद्धा सिखाई है। यदि किसी कारण से आप बीमार हो भी जाते है तो 95 प्रतिशत रोग ऐसे है जिन्हें आप स्वयं अपने दिनचर्या व खान-पान में बदलाव कर ठीक कर सकते है। सिर्फ 5% भी ऐसे रोग है जिनमे वैद्य या डॉक्टर की जरूरत पड़ती है, अर्थात रोगी स्वयं चिकित्सक है और भोजन ही औषधि है। रसोई में जितने मसाले है सब औषधि है। मसाला शब्द हिंदी का नहीं है ये शब्द फारसी से अरबी में और फिर हिंदी में आया है। शास्त्रों में कही भी मसाला शब्द नहीं है। इसके स्थान पर हर जगह औषधि शब्द का भी प्रयोग किया गया है। रसोई घर में पिछले 30 वर्षो में हुए बदलाव हमारी बिमारियों की जड़ है।


Svadeshi.blogspot.com की आवश्यकता क्यों है?
आयुर्वेद के अनुसार यदि हवा पानी और भोजन ये तीनों शुद्ध होतो आराम से 100 से ज्यादा वर्षो तक एक स्वस्थ और स्वावलम्बी जीवन जीया जा सकता है। आज तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण ने विकास को एक नया स्वरूप दिया है। इससे लोगो के रहने के अंदाज तथा आस-पास के परिवेश में बदलाव आया है। बहुत से लोगो को ये परिवेश सुखकर प्रतीत होता है। लेकिन वास्तविकता तो ये है कि दिन प्रति दिन हवा और जहरीली हो रही है। प्राकृतिक शुद्ध पानी तो मानो विलुप्त सा हो गया है। भोम जल का सेवन सुरक्षित नहीं रह गया है। RO का पानी तो है लेकिन कितना शुद्ध है? अब हम मोडर्न हो चुके है प्रकृतिक खेती की जगह रसायनिक अर्थात जहरीली खेती करते है। हवा, पानी और भोजन तीनो ही तो जहरीली है। वास्तविकता तो ये है कि हम अनजाने में ही अपने शरीर की सीमाओं का अतिक्रमण कर रहे है। आधुनिकीकरण ने सभी को ऐसी जिन्दगी जीने को मजबूर कर दिया है जहाँ रोग ही रोग है। वर्तमान में भारत पर जो भी सर्वेक्षण हुए है उनके अनुसार बिगड़ी जीवन शैली से आने वाले समय में रोग इस कदर बढ़ जायेंगे कि महामारी भी उसके सामने बौनी नजर आएगी। खान-पान का बिगड़ा स्वरूप कैंसर, हृदय रोग मधुमेह, मोटापा, थायराइड हड्डियों के रोग आदि को बढ़ता देगा।


आज चारो ओर खुले अस्पताल मरीजों से भरे दिखते है। महंगी होती जा रही चिकित्सा लोगो की कमर तोर रही है। निम्न वर्ग के लोगो तक आधुनिक चिकित्सा का पहुंचना लगभग असम्भव है। 50 साल पहले 50 करोड़ डालर की दवाये बिकती थी लेकिन 50 साल बाद आज अरबों डालर की दवायें बिकती है। ऐसा ही हाल यूरोप के देशों का भी है। जनसंख्या बढ़ी लगभग 3 से 4 गुनी और बीमारों की संख्या बढ़ी है, लगभग 20 गुनी। सेहत की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। अब हमे सचेत हो जाना चाहिए। एक बीमारी के लिए ऐलोपेथी में इलाज करने जाते है। बीमारी ठीक हो या न हो दवाओं के साइड इफ़ेक्ट से अन्य बीमारियों से ग्रस्थ हो जाते है। एक शोध के अनुसार रोगी बीमारियों से कम और दवा खाने की वजह से ज्यादा मर रहे है। मै ऐलोपेथी का विरोथ नहीं कर रहा लेकिन ये सच है कि मात्र आयुर्वेद एक ऐसा शास्त्र या चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य को निरोगी जीवन देने की गारंटी देती है। बाकी सभी पद्धतियों में बीमार पड़ो फिर इलाज किया जायेगा और गारंटी कुछ भी नहीं है। इसलिए आयुर्वेद की मदद से महंगी चिकित्सा से सस्ती धरेलू चिकित्सा की ओर आने के लिए svadeshi.blogspot.com जैसे वेबसाइट की आवश्यकता पड़ेगी है।


कौन हूँ मै?

About me


मै एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाला दिल्ली यूनिवर्सिटी के SOL से ग्रेजुएट विद्यार्थी हूँ। मेरा नाम मनीष पासवान है और मै फुट वियर हेल्थ सेक्टर में मार्केटिंग रिप्रेजेंटेटिव के रूप में काम कर चूका हूँ। बचपन से ही मेरा रुझान स्वाथ्य, आयुर्वेद, योग, इतिहार, प्रकृति और भारत के महान वैज्ञानिको या व्यक्तित्वों (आर्यभट्ट, चाणक्य, चरक सुश्रुत, वाग्भट्ट आदि) के बारे में जानने में रहा है। जब कभी घर में स्वाथ्य संबंधी समस्या आती तो मै इसका समाधान आयुर्वेद में ढूंढ़ता था। इसके लिए मै इन्टरनेट सर्फ करता, ऑनलाइन बुक्स खरीदता और अपने आस-पास के लोगो से चर्चा करके जानकारी जुटाता। इसके बाद मै अपने और अपने घर वालों के लिए आयुर्वेद के नियम सेट करने लगा जैसे ऐलुमिनियम के बर्तन का प्रयोग न करना, खड़े होकर पानी न पीना आदि। सुनने में तो ये नियम बहुत साधारण और मामूली से प्रतीत होते है लेकिन यकीन मानियें हमारे जीवन पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। मेरा मानना है कि जीते जो जानवर भी है लेकिन मनुष्य होने के नाते हमे जीवन जीने का सही तरीका जरुर पता होना ही चाहिए। जो सिर्फ आयुर्वेद से ही जाना जा सकता है।

2016 में पहली बार youtube के माध्यम से मुझे स्वर्गीय श्री राजीव दिक्सित के बारे में पता लगा। उनके विचारो ने मुझे बहुत प्रभावित किया। वे एक महान व्यक्ति थे जो अपनी आखरी साँस तक देश और स्वदेशी के संकल्प को पूरा करने के लिए जिए। मेरा ब्लॉग बनाने का कोई प्लान नहीं था। लेकिन इस ब्लॉग को शुरू कर के स्वदेशी चिकित्सा को फ़ैलाने की प्रेरणा भी उनसे ही मिली। वे मेरे आदर्श है इसलिए यह ब्लॉग उनको समर्पित है। आयुर्वेद के बारे में जानने की जिज्ञासा अब मेरा पैसन बन चूका है। अब तो आलम ये है की ब्लॉग लिखते वक्त भूख, प्यास, दिन-रात किसी की भी खबर नहीं रहती है। एक अलग सा ही मजा आता है।
श्री राजीव दिक्सित के अनुसार मोक्ष अर्थात परम सुख का अधिकारी केवल वो मनुष्य है जो अपने दुखो का नाश करके दुसरो के दुखो को खत्म करने का सतत प्रयास करें।


Svadeshi.blogspot.com दुसरे वेबसाइट या हेल्थ ब्लॉग से कैसे अलग है?
Svadeshi.blogspot.com दुसरे हेल्थ वेबसाइट से अलग है क्योंकि मै इसमें सिर्फ रोगों के घरेलू उपचार ही नहीं बताता बल्कि अपने अनुभव भी इसमें जोड़ता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है किसी भी विषय पर लिखने से पहले मै इन्टरनेट और बुक्स का अत्यंत शोध करता हूँ। इसके बाद अपने गुरुओं व अन्य महानुभावो के साथ इसकी चर्चा करता है। सारी जानकारी को इकट्ठा करके मै कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक जानकारी देने की कोशिश करता है इसके साथ ही समय के साथ अपने लिखे हुए ब्लॉग को अपडेट भी करता रहता हूँ।
Svadeshi.blogspot.com पर दी गई जानकारी गहन शोध और अध्ययन के बाद ही दी जाती है यदि फिर भी आपको इसमें कुछ त्रुटी मिलती है या आप किसी विषय पर लेख चाहते है, तो कृप्या मुझे सम्पर्क करें।
मनीष
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ईमेल:- manishpaswan555@gmail.com
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