आयुर्वेदद मात्र एक चिकित्सा पद्धति ना होकर जीवन जीने पूरा विज्ञान है। जिससे हमे जीवन जीने के नियम का बोध होता है। इसमें से ही एक छोटा सा नियम है, पानी हमेशा चुस्कियाँ ले कर पीना अर्थात पानी हमेशा घूँट-घूँट करके पीना। जिससे मुँह की लार पर्याप्त मात्र में पेट में जाए। अक्सर इस नियम को हम कम आकते है और अजरअंदाज करते है लेकिन यह नियम बहुत महत्वपूर्ण है।
शारीर पर अम्लता का प्रभाव
- अम्ल ज्यादा होने पर यह भोजन नली में आ सकती है। जब ऐसा कई बार होता है तो भोजन नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।
- सिने या छाती में जलन होती है।
- साँस लेने में तकलीफ होती है।
- मुह में खट्टा पानी और खट्टी डकारे आती है।
- घबराहट और उलटी जैसा होता है।
- पेट में जलन और दर्द होना।
- गले में लगातार जलन महसूस होना।
- पेट फूलना या भरा हुआ लगना।

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