आयुर्वेद के अनुरार दिन में सोना कोई खराब आदत नहीं है बल्कि आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर आप आयुर्वेद के नियमो का पालन करते हुए दिन में सोया जाए तो यह आपके शरीर के लिए बेहत फयदेमंद हो सकता है।
आयुर्वेद में गर्भवती महिलाओ, बच्चो और बुजुर्गो को दिन में सोने की छूट है। लेकिन अगर आप पूर्णतः स्वस्थ हैं और एक औसत उम्र के व्यक्ति हैं जिनको दिन में सोने की आदत है तो आगे चल कर आप गंभीर रोगो के शिकार हो सकते है। आपके ही लिए मै आयुर्वेद के कुछ बेहद सरल और महत्वपूर्ण नियम ले कर आया हूं। वास्तव में तो आप दिन में सोते हो या न सोते हो ये कुछ ऐसे नियम है जिनको सभी लोगो को पता होना ही चहिये।
आधुनिक शोध के अनुसार दिन में सोना सही या गलत
दोपहर के खाने के बाद नींद लेने पर पुरे विश्व में शोध हुए है। जिसके बहुत सारी कंपनिया अपने कर्मचारियों को दोपहर के भोजन के बाद नींद लेने का मौका दे रही है जिसके परिणामतः कर्मचारियों में काम करने की क्षमता तीन गुनी ज्यादा पाई गई।आयुर्वेद के अनुसार दिन में सोने के नियम
- दिन में सोने से रोग उत्पन्न होते हैं। सुश्रुत संहिता के अनुसार सभी ऋतुओं में दिन में सोना निषिद्ध है, पर ग्रीष्म ऋतु में दिन में सोना निषिद्ध नहीं है अर्थात सभी स्वस्थ लोगों को गर्मियों के दौरान दिन में नींद लेन चाहिए।
- गर्मियों को छोड कर और किसी मौसम में दिन में नही सोना चाहिए, ऐसा करना कफ और पित्त असंतुलन का कारण बन सकता नहीं है। जो मोटापे से पीड़ित से पीड़ित हैं उन्हें दिन में नही सोना चाहिए।
- कफ के रोगी लोगों को दिन में नही सोना चाहिए। जो विषाक्तता से पीड़ित हैं उन्हें दिन में नहीं सोना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार कैसे और कितना सोए
- दोपहर के भोजन के बाद 10 मिनट वज्रासन में बैठे।
- इसके बाद वाम कुक्षी यानि बायीं करवट लेट जाए।
- यदि नींद आ रही है तो सो जाए।
- 18 से 60 वर्ष तक के लोगो के लिए 40 मिनट से 1 घंटे का विश्राम और
- 18 साल से कम और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगो के लिए 1 घंटे से डेढ़ घंटे विश्राम करना चाहिए।
- तय सीमा से अधिक सोने पर आपको मोटका, गैस आदि समस्याए हो सकती है।

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