क्या आप जानते है? सभी मंदिरों में भोजन और प्रसाद ज्यादातर मिट्टी के बर्तन में ही क्यों बनाई जाती है? कई हजार साल से भारत में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता रहा है इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं।
हम लोग खाना इसलिए खाते है ताकि हमारे शरीर को जरुरी पोषक तत्त्व सही मात्रा में मिले। जो भोजन हम खाते हैं उसमे अपने आप में तो मिनरल्स विटामिन्स प्रोटीन तो होते ही हैं। आज हम जानेंगे की किस तरह भोजन के गुणो को बढ़ाने या घटाने में बर्तन विशेष भूमिका निभाते हैं।
करीब 200 वर्ष पहले से ही मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग होना बंद हो गया। इसके पीछे की मुख्य वजह थी बाजार में एल्युमिनियम के बर्तनों का ज्यादा इस्तेमाल करना। लेकिन एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना बनाना शरीर के लिए हानिकारक है। आइये जानते हैं क्यों मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना चाहिए।
भोजन धीरे-धीरे ही पकना चाहिए
मिट्टी के बर्तनों की एक खामी ये है की इसमें खाना धीरे-धीरे पकता है अर्थात खाना पकने में समय ज्यदा लगता है क्योंकि मिट्टी ऊष्मा को उस प्रकार अवशोषित नहीं कर सकती जिस प्रकार धातु के बर्तन करते है। लेकिन जिसे आप खामी समझते है।
वह तो मिट्टी के बर्तन का सबसे गुण है। ये अत्यंत आवश्यक है की खाना धीरे-धीरे पके। इससे भोजन में मोजूद माइक्रोनियुत्रियेन्ट्स शरीर के लिए उपयोगी ढंग से पच पते है।
आयुर्वेद के अनुसार, जो भोजन धीरे-धीरे पकता है वह सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है। जबकि जो खाना जल्दी पकता है वो खतरनाक भी होता है। अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। इससे भोजन में मौजूद सभी प्रकार के पोषक तत्व शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं।
ज़ायकेदार खाना
आपने एक बार मिटटी के बरतन का खाना खा लिया तो उसका जो स्वाद है वो आप जिन्दगी भर नहीं भुलेंगे। मिट्टी के बर्तन में पके भोजन का स्वाद अलग होता है। इसके साथ ही मिट्टी में मोजूद मिनरल और खनिज भोजन में मिल कर भोजन की पोषकता को कई गुना बड़ा देते है।
स्वास्थ्य लाभ कैल्सियम, फास्फोरस, आयरन आदि सभी तत्वों मिट्टी से ही प्राप्त होते है इंसान के शरीर को रोज 18 प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्वो की आवश्यकता होती है ये सारे तत्व मिट्टी में मोजूद होते है। अतः मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करने से शरीर में इन तत्वों की कमी नहीं होती है।
दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त
मिट्टी के बर्तन में ठंडा किया गया पानी शरीर के लिए उपयुक्त तो होता ही है लेकिन इसके साथ दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त होता है। मिट्टी के बर्तन में जमाई गई दही का स्वाद और क्वालीटी स्वयं प्रमाण है।
एक समय था जब भरत के हर घर में घी भी मिट्टी की हांडी से ही निकालती थी और दही का मट्ठा भी मिट्टी की हांडी में बनता था।
कुम्हार से बड़ा वैज्ञानिक कोई नहीं
जो देश को मिट्टी के बर्तन बनाकर हजारों सालो से दे रहे हैं। हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए हमने उनको नीची जाति बना दिया। यह ऊंचा नीचा कुछ तो अंग्रेजों ने डाला और कुछ अंग्रेजों के पहले जो मुसलमान थे उन्होंने डाला और कुछ अंग्रेज और मुसलमानों के जाने के बाद हम काले अंग्रेजों ने इसको ऐसा पक्का बना दिया कि कुम्हार इस देश में बैकवर्ड क्लास है
जो सबसे बड़ा वैज्ञानिक काम कर रहा है मिट्टी के बर्तन बना बना के आप के माइक्रो न्यूट्रिएंट्स को आप के सूक्ष्म पोषक तत्वों को कम नहीं होने देने के लिए मिट्टी का सिलेक्शन करता है।
ये बहुत महान लोग हैं।
क्या आप जानते है की हर एक प्रकार की मिट्टी से बर्तन नहीं बनते ? एक खास तरह की मिट्टी है वही बर्तन बनाने में काम आती है और एक खास तरह की मिट्टी है जो हांडी बनाती है।
दूसरे खास तरह की मिट्टी है जिससे कुल्लड बनता है तीसरे खास तरह की मिट्टी में कुछ और बनता है। मिट्टी को पहचानना कि इसमें कैल्शियम ज्यादा है और मैग्नीशियम ज्यादा है इसलिए हांड़ी इससे बनेगी। इसमें मैग्नीशियम कम है इसलिए इसका कुल्हड़ बनेगा। यह तो बहुत बारीक और विज्ञान का काम है, जो हजारों सालों से बिना किसी यूनिवर्सिटी में पड़े हुए कर रहे हैं। ये बहुत महान लोग हैं।
कितने प्रकार के होते हैं मिट्टी के तवे ?
काली मिट्टी का तवा मक्की की रोटी के लिए सबसे अच्छा होता है।
लाल मिट्टी तवा गेहूँ की रोटी के लिए सबसे अच्छा होता है।
पीली मिट्टी का तवा बाजरे की रोटी लिए अच्छा होता है।
लाल मिट्टी तवा गेहूँ की रोटी के लिए सबसे अच्छा होता है।
पीली मिट्टी का तवा बाजरे की रोटी लिए अच्छा होता है।
मिट्टी के बर्तन के अलावा ये है उपयुक्त विकल्प
मिटटी के बरतन में खाना बनाये तो 100% पोषक तत्त्व बचते है। और इसके साथ मिटटी के अपने गुण और पोषक तत्व भी इसमें समा जाते हैं। जिस से भोजन में मौजूद गुण कई गुना बढ़ जाते हैं। एक बार मिटटी के बरतन का खाना खा लिया तो उसका जो स्वाद है वो आप जिन्दगी भर नहीं भुलेंगे।
मिट्टी की हांडी के बाद भोजन पकाने के लिए अगर सबसे अच्छी कोई चीज है तो वो है कांसा। कांसे के बर्तन में भोजन पकने के बाद सिर्फ 3% माइक्रो न्यूट्रीएंट्स कम होते हैं 97% बचे रहते हैं।
तीसरा सबसे अच्छा पीतल को माना जाता है। को पीतल के बर्तन में पकाएं तो 7% कम होते हैं 93 परसेंट बचे रहते हैं।
भोजन पकाने के लिए सबसे खराब बर्तन प्रेशर कुकर है जिसमे भोजन बनाएं तो सिर्फ 7% बचते हैं बाकी खत्म हो जाते हैं।
मिट्टी के बर्तन सस्ते होते है भारत में मिट्टी के बर्तन, बाकी धातुओं के बर्तनों के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं। अगर हम मिट्टी के बर्तन खरीदते है तो कहीं न कहीं देश के गरीबों को मदद मिलती है, जो की एक अच्छी बात है।
सावधानियां
- ज्यादा गरम होने पर इनके टूटने का खतरा रहता है। लेकिन धीमी आंच पर आसानी से इनमें खाना बनाया जा सकता है। आप इनमें रोज़ाना दाल, चावल और सब्ज़ी पका सकते हैं।
- मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी होता है परन्तु खाना पकने के बाद यदि ये बर्तन अच्छे से साफ़ ना किये जाएँ तो यह सेहत के लिए नुक्सानदायक भी हो सकता है।

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