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शास्त्रों के अनुसार भोजन करने के नियम

शास्त्रों के अनुसार भोजन करने के नियम

भारतीय शास्त्रों में भोजन करने के कुछ विशेष नियम बताये गये है। यह नियम और निर्देश हमें एक सुखमय जीवन प्रदान करने में सहायक सिद्ध होते हैं। 


शास्त्रों के अनुसार भोजन करने के नियम


हिन्दू धर्म अनुसार भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए। यदि यह तीनों शुद्ध है तो व्यक्ति कम से कम 100 वर्ष तो जिंदा रहेगा। इसका मतलब है कि कुछ शास्त्रीय नियमों को अपनाकर आप लंबी उम्र भी जी सकते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं शास्त्रों के अनुसार भोजन करने के कुछ खास नियम।

शास्त्रों के अनुसार भोजन करने के नियम

  • पाच अंग दो हाथ, दो पैर,और मुह को अछि तरह धो कर ही भोजन करना चाहिए
  • गीले पैर भोजन कर ने से आयु बदती है।
  • शास्त्रों में सुबह और स्याम को ही भोजन करने का विधान है। प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है, क्योंकि पाचनक्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2.30 घंटे पहले तक प्रबल रहती है। शास्त्रों की मानें तो जो व्यक्ति सिर्फ एक समय भोजन करता है वह योगी और जो दो समय करता है वह भोगी कहा गया है।
  • अग्नि देव को भोग लगाने के बाद सबसे पहले तीन रोटी कुत्ते, गाये, और कौए को देनी चाहिए इसके बाद अग्निदेव को भोग लगाकर घर के सदस्यों को भोजन करन चाहिए।
  • भोजन हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुह करके ही करनी चाहिए।
  • पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है।
  • बिस्टर, हाथ से पकड़ कर या टूटे-फूटे बर्तन में भोजन नही करना चाहिए।
  • मान्यता है कि पूरे परिवार को साथ मिल बैठकर ही भोजन करना चाहिए।
  • भोजन पकाने वाले के लिए जरूरी है कि वे स्नान करने के बाद ही भोजन बनाना है। स्नान करने के बाद ही रसोईघर में दाखिल हों और शुद्ध मन से मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाएं।
  • पीपल और वट वृक्ष के नीचे भोजन नही करना चाहिए।
  • हमेशा भोजन करने से पहले अन्न देवता अन्पूर्ना माता की स्तुति करनी चाहिए प्राथना कनानी चाहिए की हर भूखे को भोजन मिले।
  • शास्त्रीय नियमों के अनुसार जब व्यक्ति क्रोध में हो, किसी से ईर्ष्या की भावना रखता हो, तो उसे भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे में वह भोजन उसे पचता नहीं है। यदि आसपास कोई लड़ाई-झगड़ा या फिर काफी शोर हो रहा हो, तब भी ऐसे स्थान पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए। भोजन हमेशा शांत माहौल में ही करें, ताकि पेट के साथ मन को भी शांति मिले।
  • भोजन करते समय हमेशा मौन रहें। यदि किन्हीं कारणों से बोलना जरूरी हो तो सिर्फ सकारात्मक बातें ही करें। भोजन करते वक्त किसी भी प्रकार की समस्या पर चर्चा न करें। और भोजन को खुशी से और पूरा चबा-चबाकर ही खाएं।
  • भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के पश्चात घुड़सवारी, दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए। यह कारण चिकित्सीय दुनिया के हिसाब से भी सही माने जाते हैं।
  • कभी भी रात के समय ज्यादा भोजन नहीं करना चाहिए। साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि खाना खाने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। इससे पाचन तंत्र कमजोर होता है।

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