भारतीय शास्त्रों में कुछ सूत्र ऐसे भी बताये गये है, जो मानव की दिनचर्या से संबंधित है जिनको रीती रिवाज कहते है। कुछ लोग इनको अंधविश्वास कहते है तो कुछ इनको बस निभाते चले जा रहे है, लेकिन साइंस अब इन रिवाज़ों के पीछे की वैज्ञानिकता सामने ला रही है।
4. शरीर चिंतन:- मल त्याग के पश्चात दांत, जिभ, गला साफ़ करना, दंड बैठक और सूर्य दर्शन अर्थात मोर्निंग वॉक जाना इसके बाद स्नान करना तथा योग, ईस्ट पूजा आदि शरीर चिंतन के अंतर्गत आता है।
भाग्योदय मार्ग शारीरिक चिन्तन के दौरान ही घर के जो भी बड़े बुजुर्ग दिखे उनके पैर छूना एक सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, लेकिन सुबह के समय ऐसा करने का तरीका थोड़ा अलग है, इसमें हाथों को क्रॉस करते हुए पैरो की उंगलियाँ छूनी है अर्थात दायें हाथ से बाएँ पैर को और बाएँ हाथ से दायें पैर को छूना है।
अगरबत्ती दिखाना, पूजा करना, मंदिर जाना ये सब अपनी जगह है लेकिन किस्मत बदलती है तो सिर्फ बड़ों के आशीर्वाद से इसीलिए नियमित बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
इसमें समय लग सकता है लेकिन 6 महीने, 1 साल बाद आपको बदलाव दिखने लगेंगे। आपकी सेहत तो सुधरेगी ही साथ ही साथ किस्मत भी चमकने लगेगी।
हर एक रियाज़ किसी न किसी रूप में स्वस्थ लाभ पहुँचते है। आज हम ऐसे ही कुछ सुबह के दिनचर्या के बारे में जानेंगे जिसके द्वारा हम स्वस्थ के साथ-साथ किस्मत भी चमका सकते है।
सुबह की दिन दिनचर्या
1. इश वन्दन:- ब्रह्ममुहूर्त में जागकर सबसे पहले अपने हाथों को देखे, इसके लिए अपने हाथों को इस प्रकार जोड़े जिससे जीवन रेखा एक लाइन में आ जाए।
कराग्रे वसते लक्ष्मिः करमध्ये सरस्वति ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ॥
2. भूमि वंदना:- धरती माता पर पैर रखने के पाप के लिए पहले ही माफ़ी माँग ले। सके। इसके लिए अपना सिर धरती से लगायें और ये मंत्र बोलते हुए प्रार्थना करे:-
समुद्रवसने देवी पर्वतस्तनमंडीते।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे॥
3. उषा पान:- सुबह गुनगुना पानी पियें अथवा तांबे के बर्तन के बर्तन में रखा हुआ पानी पियें (सिर्फ सुबह) प्लास्टिक या एलुमिनियम के बर्तन में पानी कभी न पीयें।
पानी की मात्रा हर व्यक्ति के लिए अलग होती है, अपने प्यास के अनुसार पानी पीना चाहिए लेकिन 18 वर्ष से कम के लोगों के लिए 750 ग्राम, 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच के लोगों के लिए 1 से सवा लिटर और 60 वर्ष से अधिक के लोगो के लिए 750 ग्राम पानी पीना आवश्यक है।
आगर शरीर में ताम्बे की अधिकता है तो सुबह का पानी ताम्रपात्र का न पीयें। पानी को कभी भी ताम्बे के बर्तन के गर्म न करे।
4. शरीर चिंतन:- मल त्याग के पश्चात दांत, जिभ, गला साफ़ करना, दंड बैठक और सूर्य दर्शन अर्थात मोर्निंग वॉक जाना इसके बाद स्नान करना तथा योग, ईस्ट पूजा आदि शरीर चिंतन के अंतर्गत आता है।
भाग्योदय मार्ग शारीरिक चिन्तन के दौरान ही घर के जो भी बड़े बुजुर्ग दिखे उनके पैर छूना एक सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, लेकिन सुबह के समय ऐसा करने का तरीका थोड़ा अलग है, इसमें हाथों को क्रॉस करते हुए पैरो की उंगलियाँ छूनी है अर्थात दायें हाथ से बाएँ पैर को और बाएँ हाथ से दायें पैर को छूना है।
अगरबत्ती दिखाना, पूजा करना, मंदिर जाना ये सब अपनी जगह है लेकिन किस्मत बदलती है तो सिर्फ बड़ों के आशीर्वाद से इसीलिए नियमित बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
इसमें समय लग सकता है लेकिन 6 महीने, 1 साल बाद आपको बदलाव दिखने लगेंगे। आपकी सेहत तो सुधरेगी ही साथ ही साथ किस्मत भी चमकने लगेगी।
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