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भोजन के बाद जरुर करें ये 3 काम और रहे रोग मुक्त

भोजन के बाद जरुर करें ये 3 काम और रहे रोग मुक्त

हमारे पूर्वज ऋषि मुनि गहन शोध और जीवन परियन्त अध्ययन के बाद मानवजाति के कल्याण के लिए आयुर्वेद के रूप में अपनी विरासत छोड गये है। जिसके सहारे वे सौ सालो का लम्बा और निरोगी जीवन जीते थे। 

Bhojan ke bad Karen ye kaam

आयुर्वेद नियमो और सूत्रों के कई ग्रंथो को कहा जा सकता है। इन्ही नियमो में बताया गया है की कुछ ऐसे कार्य है जिनको भोजन के पश्चात् अवश्य ही करना चाहिए, तो आज खान पान से सम्बन्धित कुछ ऐसे ही नियनो की बात करेंगे।

प्रथम कार्य - वज्रासन

भोजन के पश्चात 10 मिनट वज्रासन में वैठे और 1-1.30 घंटे बाद पानी आवश्य पिये क्यूंकि इस समय ही भोजन पच कर शरीर के लिए उपयोगी रस में बदल जाता है रस बनने की प्रक्रिय में पानी की आवश्यकता होती है।

दूसरा कार्य - वांकुक्षि झपकी

दोपहर के भोजन के पश्चात दिन में 40 मिनट से 1 घंटे तक बाईं करवट लेटनेना चाहिए या नींद लेना अच्छा होता है। 

तीसरा कार्य - इवनिंग वॉक

आपको जानकर हैरानी होगी कि मॉर्निंग वॉक से ज्यादा फायदेमंद है इवनिंग वाक लेकिन इसके कुछ नियम है। 

रात के भोजन के बाद कम से कम दो घंटे तक कभी भी तुरंत विश्राम नही करना चाहिए। तुरंत सोने से हृदय घात, मधुमेह जैसी बीमारियां होती है। रात के भोजन के बाद 1000 कदम टहलना बहुत जरूरी है।

इसके अतिरिक्त ये है अति महत्वपूर्ण नियम

भोजन का समय निश्चित करें अर्थात जठराग्नि तीव्र हो तभी भोजन करें। एलोपैथी में हमेशा कुछ न कुछ खाने की अथवा थोडा-थोडा बार -बार खाने की आदत डालने को कहा जाता है लेकिन आयुर्वेद के अनुसार ये गलत है। 

दिन में दो समय जठराग्नि तीव्र होती है। यह समय है सुबह सूर्य उदय के दो घंटे बाद तक और श्याम में सूर्य अस्त से 40 मिनट पहले तक। अतः इसी समय भोजन करना चाहिए। 

 भोजन का पाचन भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है। इसका संबंध सूर्य से है एलोपैथी पूर्वी देशों की देन है जहां सूर्य की किरणे भारत के मुकाबले बहुत मुश्किल से पहुंचती है। अतः थोड़ा थोड़ा खाना थोड़ी-थोड़ी देर पर खाना उनकी मजबूरी है।

खाना हमेशा जमीन पर बैठकर ही खायें यानी सुखासन में खाना खायें। खाते समय खाना जमीन से थोडा उपर होना चाहिए। शरीर जितना अधिक पृथ्वी के नजदीक होगा अथवा गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में होगा उतना ही अधिक शरीर को लाभ होगा। 

भोजन बनने के 48 मिनट के अंदर उसे खा लेना चाहिए क्यूंकि इसके बाद भोजन की पोषकता खत्म होने लगती है। 

खाना खाते समय एक-एक निवाले को 32-32 बार चबाना चाहिए। ऐसा करने से मुँह की लार ज्यादा से ज्यादा पेट में जाती है और खाने को पचाते में मदद करती है। इससे मोटापा नही होता है।

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