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खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए ?

खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए ?

इंसान के खान-पान और लाइफ स्टाइल पर हमेशा से शोध किया जाता रहा है जिसके परिणाम स्वरूप कुछ ऐसे नियम सामने आए है जिसको यदि आप अपनी आदत में सुमार कर ले तो बहुत से रोगों से बच सकते है। आज हम ऐसे ही एक साधारण लेकिन अहम नियम की बात करेंगे।


ऐसे कभी न पीये पानी

खाडे होकर और जल्दी-जल्दी पानी पीने से दो गम्भीर रोग होते है, जिसमें पहला है हर्निया (आंत का उतरना) और दूसरा है अपेंडिसाइटिस (अपेंडिक्स)। 60 वर्ष से अधिक उम्र में एक बीमारी हाइड्रोसिल भी हो सकती है पानी हर व्यक्ति अनपे वजन में 10 से भाग देकर 2 घटाकर दिनभर में पानी पीने की मात्रा की गणना कर सकता है। सामान्य रूप से एक औसत व्यक्ति को 4-5 लिटर पानी जरुर पीना चाहिए।


दो अमेरिकी वैज्ञानिकों की शोध के अनुसार

अमेरिका के दो वैज्ञानिकों के शोध से पता चला है कि एक साथ गतागट पीया हुआ पानी किडनी पर सबसे अधिक दबाव देता है। क्यूंकि शरीर में पानी को छानने का काम किडनियां (दोनों) करती है। इस प्रकार पानी पीने से शरीर को कोई लाभ नही होता है। जापान की सरकार ने अपनी चिकित्सा पद्धति में इसको शामिल किया है।


आयुर्वेद के अनुसार ऐसे पीये पानी

आराम से सुखासन में बैठकर और धीरे धीरे सिप ले लेकर पीये पानी। नाभिक पुरे शरीर का केंद्र है और बैठने की स्थिति में पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल नाभि पर लगता है और खड़े हो जाने की स्थिति में गुरुत्व केंद्र नाभि से खिसक जाता है। गुरुत्व बल का नाभि पर प्रभाव होने से इसका प्रभाव जठराग्नि पर पड़ता है जिसके कारण सुखासन में बैठने की स्थिति में कुछ भी खाने-पीने से जल्दी और पूरी तरह हजम हो जाता है। क्यूंकि ऐसी स्थिति में एक अतिरिक्त बल काम करता है। किसी मजबूरी की स्थिति में पानी हमेशा झुककर पीयें। पानी पीते समय या कुछ भी खाते समय गुरुत्व बल हमेशा नाभिक के नजदीक रहे।

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