भारत में लगभग 90 प्रतिशत लोग सुबह नाश्ते से पहले चाय ज़रुर पीते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की भारत में 1750 के पहले कही भी चाय का नामो निशान नहीं था। लेकिन अब कुछ लोगो को सुबह उठते ही चाय पीने की आदत होगी। बिना चाय पिए तो उन्हें जैसे, चैन ही नहीं पड़ता। लेकिन आपको बता दें कि जो व्यक्ति जितनी ज्यादा चाय पीता है वह उतना ही अधिक बीमार भी होता है।
आज हम चाय की असलियत और इससे होने वाले नुकसान जानेंगे। लेकिन इसके बाद हम हेल्दी चाय बनाने के बारे में भी जानेंगे जो सबसे महत्वपूर्ण है।
हम क्यों पीते है चाय
चाय से भूख मर जाती है, दिमाग सूखने लगता है, गुदा और वीर्याशय ढीले पड़ जाते और नींद उड़ जाती है चाय में कैफीन और टैनिन होते हैं जो कि शरीर में ऊर्जा भर देते हैं। जिसके कारण आभासित कृत्रिम स्फूर्ति को दिमाग स्फूर्ति मान लेना, यह एक बड़ी गड़बड़ी है।कुछ दिन तक नियमित पीने से चाय की लत लग जाती है इसके बाद तो यदि एक दिन भी समय पर चाय न मिले, तो शरीर शिथिल हो जाता है और दर्द से सिर फटने लगता है। चाय एक नशे की भांति है। इसमें कोई पौष्टिक तत्व नहीं होता, बल्कि हानिकारक नशीली वस्तुएँ होती हैं।
चाय पीने का एक कारण ये भी है की ये कफ को काटती है और शरीर में गर्मी लाता है। लेकिन आपको बता दे कि साधारण गुनगुना पानी पीकर भी ये लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। इसलिए चाय की कोई आवश्यकता नहीं है।
अंग्रेजों की नकल पड़ सकती है महंगी जानिए चाय की असलियत
यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में रहने वाले लोगों के लिए चाय सही है लेकिन भारत जैसे गर्म देशों में रहने वाले व्यक्तियों के लिए चाय जहर है। गर्म देशों में रहने वाले लोगों के पेट में अम्लता (एसिडिक) की मात्रा पहले ही अधिक होती है। अब चाय के पीते ही यह और अधिक हो जाती है। इसके कारण से पेट में जलन और सीने में जलन जैसी बीमारियाँ बनने लगती हैं।सिर्फ दो सौ वर्ष पहले तक भारतीय घर में चाय नहीं होती थी। आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछता है। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है। कई लोग ऑफिस में दिन भर चाय लेते रहते है। अंग्रेजों से पहले देश में चाय की खेती नहीं होती थी। जब अंग्रेज आये तो उन्होंने इस जहर की खेती की। उनको चाय की जरूरत भी थी क्योकि ठंडे प्रदेश के होने के कारण उनका ब्लडप्रेशर लो रहता था। जो चाय के सेवन से सामान्य रहता है। लेकिन हमारे साथ ठीक इसका उल्टा होता है।
कुछ लोगों को बेड टी की आदत होती है अर्थात् सोकर उठते ही सबसे पहले बिस्तर पर ही चाय पीते हैं। खली पेट चाय पीना दो गुना हानिकारक है। उन्हें चाय पीने के बाद ही शौच होता है तो वे समझते है की चाय पेट साफ करती है। लेकिन ऐसा नहीं है। यदि इसके बजाय केवल एक गिलास सादा या गुनगुना जल पी लें, तो पेट अधिक अच्छी तरह साफ होगा। बेड टी की आदत यूरोप के ठंडे देशों में तो कुछ हद तक स्वीकार्य है, परन्तु भारत जैसे गर्म देशों में बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।
क्यों न पीये चाय ?
चाय एक अम्लीय पदार्थ है। इसीलिए ये ठंडे इलाकों में रहने वालो के लिए तो लाभदायक है। लेकिन गर्म इलाकों में रहने वालो के लिए हानिकारक है।ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों का रक्त चाप कम होता है। गर्म देश में रहने वाले लोगों का पेट सामान्य से ज्यादा अम्लीय होता है अतः चाय पीने पर पेट की अम्लता बढती है। ठंडे देशों के लोगों का पेट सामान्य से कम अम्लीय होता है।
भारत के लोगों का रक्त एसिडिटी के मामले में PH स्केल पर 6.4-6.5-6.8 तक चला जाता है। यूरोप और अमेरिका में 8 के उपर ही रहता है। यहाँ के लोगो का रक्त थोडा क्षारीय होता है।
अधिक अम्लीय रक्त बहुत सी बिमारिओ का कारण बनता है, हार्ट फेलियर, कैंसर और लो ब्लड सुगर आदि इसमे शामिल है।
चाय के दुष्प्रभाव
चाय में उपयोग की गयी चीनी तो आपको बीमार बना रही है। शुगर, दिल की बीमारियाँ, और ब्लडप्रेशर की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।- चाय पीने से कैंसर:- एक अध्ययन से ये बात सामने आई है कि जो पुरुष दिन में 5- कप चाय पीते हैं, उन्हे प्रोस्टेउट कैंसर का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा ब्रिटिश मैडिकल जर्नल में छपे नए अध्ययन के मुताबिक ज्यादा गर्म चाय पीने से खाने की नली या गले का कैंसर होने का खतरा आठ गुना तक बढ़ जाता है। तेज गर्म चाय गले की टिशू को नुकसान पहुंचाती है। चाय में उपलब्ध यूरिक एसिड से मूत्राशय या मूत्र नलिकायें निर्बल हो जाती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप चाय का सेवन करने वाले व्यक्ति को बार-बार मूत्र आने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- हृदय रोग:- कैफीन नामक पदार्थ जो चाय में उपस्थित होता है। हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है। यह हृदय के रोग उत्पन्न करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात की ये रक्त को दूषित करता है और शरीर के अवयवों को कमजोर भी करता है।
- ब्लडप्रेशर हाई हो जाता है:- अब हम जानते है कि ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों का ब्लडप्रेशर लो रहता है। लेकिन हमारे यहाँ ऐसा कुछ ही दिन होता है जब अधिक सर्दी होती है। बाकी समय में चाय पीने से हमारा ब्लडप्रेशर तुरंत हाई हो जाता है। अगर आपका ब्लडप्रेशर लो है तो आप चाय पि सकते है लेकिन सामान्य और हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए चाय जहर होती है।
- हाथ पैरों में दर्द:- चाय शरीर में वात की समस्याएं उत्पन्न करता है। चाय का असर हमारी हड्डियों पर पड़ता है। वह गलने लगती हैं। कम उम्र में ही दर्द होना, सोते वक़्त दर्द होना। यह सब चाय की वजह से ही होता है।
- आंत पूरी तरह होती है खराब:- चाय पीने से आपका पेट पूरी तरह से खराब हो जाता है। दूध से बनी चाय का सेवन आमाशय पर बुरा प्रभाव डालता है और पाचन क्रिया को क्षति पहुंचाता है और साथ ही साथ आपके पेट में तेज़ाब बनना शुरू हो जाता है। मल निष्कासन में कठिनाई आती है।
- गैस की समस्या:- चीनी की चाय पीने से गर्म देशों में लोगों को गैस की समस्या होने लगती है। और अम्लीय होने की वजह से आपके शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। जो गैस और जलन करने लगती है।
- कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है:- कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मतलब है खून में कचरा बढ़ना है अर्थात खून दूषित हो जाता है। और दिल तक खून पहुंचना मुश्किल होने लगता है। बाद में हार्ट प्रोब्लम्स हो जाती हैं।
- त्वचा रोग:- अक्सर लोग चाय के साथ नमकीन , खारे बिस्कुट ,पकौड़ी आदि लेते है। यह विरुद्ध आहार है। इससे त्वचा रोग होते है।
- चेहरे पर फुंसियाँ:- चाय पीने से खून गन्दा हो जाता है और चेहरे पर लाल फुंसियां निकल आती है।
- अनिद्रा:- चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है।
- दोबारा गर्म की गई चाय है जहर:- टी स्टालों या रेलवे स्टेशनों आदि जगहों पर बिकने वाली चाय का सेवन यदि न करें तो बेहतर होगा क्योंकि ये बरतन को साफ किये बिना कई बार इसी में चाय बनाते रहते हैं जिस कारण कई बार चाय विषैली हो जाती है। चाय को कभी भी दोबारा गर्म करके नहीं पिना चाहिए ।
- कॉफी:- जहाँ तक कॉफ़ी की बात है तो कॉफी चाय से दुगुनी हानिकारक होती है। इसलिए चाय और काफी दोनों भूलकर भी नहीं पीनी चाहिए।
चाय न पीये तो क्या पीये ?
अर्जुन की छाल का काढ़ा पियें। अर्जुन की छाल स्वस्थ के लिए बहुत उपयोगी है इसका सबसे बड़ा गुन ये कि ये चाय का ठीक उल्टा कार्य करता है। ये रक्त साफ़ करता है हृदय रोग के लिए औषधि है। चाय पीने से आय सभी विकार को ये दूर करता है। इसके फायदे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
- इसका मुख्य उपयोग हृदय रोग के उपचार में किया जाता है। यह हृदय रोग की महाऔषधि माना जाता है।
- अर्जुन की छाल का काढ़ा रक्त से कचरे को साफ कर देता है जिससे हृदयघात जैसी बिमारियों से बचा जा सकता है।
- इसके अलावा इसका उपयोग रक्तपित्त, प्रमेह, मूत्राघात, शुक्रमेह, रक्तातिसार तथा क्षय और खांसी में भी लाभप्रद रहता है।
- अर्जुन की छाल से पथरी होने की शंका न के बराबर है। पथरी चुना अधिक मात्रा में खाने की स्थिति में ही हो सकती है अन्यथा नही।
- अर्जुन की छाल का काढ़ा क्षारीय होता है। ये पेट की अम्लता हो न्यूट्रल रखता है।
½ चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर + 1 गिलास पानी + गुड़ + दाल चीनी + तुलसी का पत्ता + नींबू + काली मिर्च + सोंठ मिलाकर आधा ग्लास पानी रह जाने तक उबाले और चाय की तरह चुस्कियां लेते हुए पीयें।
याद रखने योग्य बाते :-
सोंठ में अदरक से ज्यादा गुणकारी तत्व पाये जाते है। नवम्बर, दिसम्बर, जनवरी, फरवरी इन चार महीनों में अर्जुन की छाल का काढ़ा अवश्य पीना चाहिए। काढ़ा शाम को पी सकते है लेकिन काढ़ा पीना सुबह सबसे अच्छा होता है। जीरे का काढ़ा, अजवाइन का काढ़ा आदि क्षारीय होते है। अतः इनका काढ़ा ही पीये।
गर्मियों के दिनों में चाय की जगह ये पीयेकेवड़ा डालकर या खस डाला हुआ जल सिर्फ गर्मियों (मार्च, अप्रैल, मई जून) में पीयें, बरसात शुरू होते ही इसे पीना बंद कर दें।
अगर चाय पीना ही है तो ऐसे पीये
- चाय पीने वालों को चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग करना चाहिए और चाय में दूध ना डालें।
- चीनी के प्रयोग से शरीर में अम्लता बढती है और गुड़ के प्रयोग से दूध मिलाने की आवश्यकता नही होगी।
- इस चाय में थोड़ा नींबू डालकर इसे न्यूट्रल करके पी सकते है।
- इसको पीने से पहले पानी जरुर पीये।
- सम्भव हो तो हरे पत्ते पत्ते की चाय पीयें हरे पत्ते की चाय एंटी अक्सीडेंटल प्रॉपर्टी वाली है। यह चाय चूरे वाली चाय से थोड़ी बेहतर है।
- यूरोप में तो चाय के अन्दर ये सफ़ेद चीनी और दूध नहीं डालते हैं। लेकिन वहां की चाय भी हरी पत्तियों वाली होती हैं।

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