शक्कर तीन प्रकार की होती है – ग्लूकोज, शुक्रोज और फ्रक्टोज। फल और गुड़ की मिठास फ्रक्टोज के कारण होती है। जो कि प्रकृति द्वारा बनाई हुई वस्तुओं में से एक है। सर्दी के मौसम में गुड़ खाने का अपना विशेष महत्व होता है।
आयुर्वेद के अनुसार गुड़ जल्दी पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। गुड़ के सेवन के फायदे जानने के बाद आप इसका सेवन जरूर करेंगे।
कफ जब भी बिगड़ता है तो शरीर में फास्फोरस की कमी आ जाती है। शरीर में फास्फोरस के पूरक के रूप में बहुत थोड़ी मात्रा में आर्सेनिक होना चाहिए जिससे फास्फोरस को ताकत मिलती है। लेकिन आर्सेनिक शरीर के लिए एक प्रकार का जहर है इसलिए इसकी मात्रा शारीर में बढ़नी नहीं चाहिए। गुड़ में भरपूर मात्रा में फास्फोरस होता है और बहुत थोड़ी मात्रा में आर्सेनिक होता है। इसलिए कफ को नियंत्रित करने के लिए गुड़ अवश्य खायें। गन्ने के रस से ज्यादा फास्फोरस गुड़ में होता है।
सफेद गुड़ कभी न खायें। गुड़ हमेशा ताम्बई रंग का खायें या काले रंग का खायें। गुड़ के अतिरिक्त जो भी मिठाइयां है, वह स्वस्थ्य की दृष्टि से अच्छी नहीं होती हैं जैसे चीनी। क्योंकि चीनी बनते ही फास्फोरस समाप्त हो जाता है। चीनी से शरीर में सबसे अंत में अम्ल बनता है। ब्रह्मचारियों के लिए चीनी बहुत खराब है। जैविक गुड़ (केमिकल रहित) सबसे उत्तम होता है।
यह पेट में गैस बनना और पाचन क्रिया से जुड़ी अन्य समस्याओं को हल करने में बेहद लाभदायक है। खाना खाने के बाद गुड़ का सेवन पाचन में सहयोग करता है। चीनी को पचाने के लिए पेट को वैसी ही ताकत लगानी पड़ती है जैसी ठंडे पानी को शारीर के तापमान पर लाने में लगनी पड़ती है। चीनी सबसे देर में पचती है। गुड़ पेट की सभी चीजों को पचाता है और चीनी को पेट को पचाना पड़ता है।
कफ का नाश करती है
थण्ड के दिनों पित्त कम होगा, वात थोड़ा बढ़ा हुआ रहेगा और कफ सबसे अधिक बढ़ा हुआ होगा। सर्दी होने पर गुड़ का प्रयोग आपके लिए अमृत के समान होगा। इसकी तासीर गर्म होने के कारण यह सर्दी, जुकाम और खास तौर से कफ से आपको राहत देने में मदद करेगा।कफ का असर हमारी जठराग्नि पर होता है जिससे जठराग्नि थोड़ा कम (मंद) होती है। इसलिए सर्दी के दिनों में तिल, गुड़, मूंगफली खाना चाहिए और घी सबसे ज्यादा खाना चाहिए। कफ को संतुलित रखने के लिए शहद भी अच्छी होती है। इसलिए जो शहद खा सकते है उन्हें शहद खाना चाहिए और जो गुड़ खा सकते है उन्हें गुड़ खाना चाहिए।
कफ जब भी बिगड़ता है तो शरीर में फास्फोरस की कमी आ जाती है। शरीर में फास्फोरस के पूरक के रूप में बहुत थोड़ी मात्रा में आर्सेनिक होना चाहिए जिससे फास्फोरस को ताकत मिलती है। लेकिन आर्सेनिक शरीर के लिए एक प्रकार का जहर है इसलिए इसकी मात्रा शारीर में बढ़नी नहीं चाहिए। गुड़ में भरपूर मात्रा में फास्फोरस होता है और बहुत थोड़ी मात्रा में आर्सेनिक होता है। इसलिए कफ को नियंत्रित करने के लिए गुड़ अवश्य खायें। गन्ने के रस से ज्यादा फास्फोरस गुड़ में होता है।
तिल का वही गुण होता है जो गुड़ का होता है। इसलिए तिल और गुड़ अवश्य खाना चाहिए। मूंगफली भी क्षारीय है अर्थात इसे भी गुड़ के साथ अवश्य खाना चाहिए। इसे नवम्बर, दिसम्बर, जनवरी, फरवरी में जरुर खाना चाहिए। इससे कफ संतुलित रहेगा।
जैविक गुड़ ही खायें
गुड़ एक दिन के बच्चे को भी खिलाया जा सकता है। बशर्ते यह जैविक होना चाहिए। गुड़ से भी अच्छी स्थिति का फास्फोरस तरल गुड़/राब/काक्वी में होता है।सफेद गुड़ कभी न खायें। गुड़ हमेशा ताम्बई रंग का खायें या काले रंग का खायें। गुड़ के अतिरिक्त जो भी मिठाइयां है, वह स्वस्थ्य की दृष्टि से अच्छी नहीं होती हैं जैसे चीनी। क्योंकि चीनी बनते ही फास्फोरस समाप्त हो जाता है। चीनी से शरीर में सबसे अंत में अम्ल बनता है। ब्रह्मचारियों के लिए चीनी बहुत खराब है। जैविक गुड़ (केमिकल रहित) सबसे उत्तम होता है।
पेट की बीमारियों से बचाता है
गुड़ से शरीर में सबसे अंत में क्षार बनता है। चूँकि शरीर में अम्ल बनता है तो चीनी खाने से वात के कई सारे रोग जन्म लेना शुरू कर तेंगे। गुड़ से बनने वाला क्षार पेट के अम्ल को संतुलित करता रहता है जिसके कारण रोगों की संभावना नहीं बनती है।यह पेट में गैस बनना और पाचन क्रिया से जुड़ी अन्य समस्याओं को हल करने में बेहद लाभदायक है। खाना खाने के बाद गुड़ का सेवन पाचन में सहयोग करता है। चीनी को पचाने के लिए पेट को वैसी ही ताकत लगानी पड़ती है जैसी ठंडे पानी को शारीर के तापमान पर लाने में लगनी पड़ती है। चीनी सबसे देर में पचती है। गुड़ पेट की सभी चीजों को पचाता है और चीनी को पेट को पचाना पड़ता है।
दही के दोष मिटाता है
दही में हमेशा गुड़ मिलाकर ही खाना चाहिए नमक या चीनी नहीं, लेकिन दूध में गुड़ मिलाकर कभी नहीं लेना चाहिए। दूध पीने के कुछ देर पहले या बाद में गुड़ खा सकते हैं। दही में गुड़ मिलाने से दही के दोष समाप्त हो जाते है।मोटापे को कम करता है
कफ का सबसे खराब रोग मोटापा है। मोटापा कम करने के उद्देश्य से भी आप गुड़ मुगफली, तिल आदि खा सकते है। मोटापा कम हो जाएगा।रक्त का सुद्धिकरण करता है
गुड़ या गुड़ की बनी हुई कोई भी वस्तु खाने में से जहर जो कम करने का काम करती है। त्वचा की सेहत के लिए भी गुड़ आपके लिए बहुत काम की चीज है। जी हां गुड़ रक्त से हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर कर, त्वचा की सफाई में मदद करता है, और रक्त संचार भी बेहतर करता है। मेटाबॉलिज्म रेट को भी नियंत्रित करने के अलावा गुड़ गले और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में फायदेमंद होता है। प्रतिदिन थोड़ा सा गुड़ खाने से मुंहासों की समस्या नहीं होती और त्वचा में चमक आती है। यह आपकी त्वचा की समस्याओं को आंतरिक रूप से ठीक करने में मदद करता है।अस्थमा के मरीज़ों के लिए फायदेमंद
शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में गुड़ सहायक होता है। इसमें एंटी एलर्जिक तत्व होते हैं, इसलिए अस्थमा होने पर भी मरीज़ों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है।शरीर में आयरन उर्जा के स्तर को बढ़ाता है
बहुत अधिक थकान या कमजोरी महसूस होने पर गुड़ आपकी मदद कर सकता है। क्योंकि यह शरीर में उर्जा के स्तर को बढ़ा देता है, जिससे थकान महसूस नहीं होती। इसके साथ ही शरीर में आयरन की कमी होने पर गुड़ आपकी काफी मदद कर सकता है। गुड़ आयरन का एक अच्छा और सुलभ स्रोत है। एनिमिया के रोगियों के लिए भी गुड़ बेहद फायदेमंद होता है।मासिकचक्र की समस्याओं से राहत
महिलाओं को मासिकधर्म की समस्याओं में राहत देने के लिए भी गुड़ काफी फायदेमंद है। उन दिनों में गुड़ का सेवन करने से हर तरह की तकलीफ में राहत मिलेगी।दिमागी कमजोरी दूर करता है
स्मरण शक्ति बढ़ाने में भी गुड़ बहुत फायदेमंद है। इसके नियमित सेवन से याददाश्त बढ़ती है और दिमाग कमजोर नहीं होता। गु़ड़ एक अच्छा मूड बूस्टर भी है, यह मूड को खुशनुमा बनाने में काफी मदद करता है। इसके अलावा माइग्रेन की समस्या में भी गुड़ फायदा पहुंचाता है। प्रतिदिन गुड़ का सेवन करने से लाभ होता है।सावधानियां
- गुड़ तासीर गर्म होने के कारण गर्मी के मौसम में गुड़ ज्यादा खा लेने से नाक से खून आ सकता है। गुड़ ज्यादा होने पर थोड़ा सोठ चाट लेने से गुड़ की तासीर तुरंत बदल जाती है।
- शुगर के मरीज गुड़ खा सकते है बशर्ते वे त्रिफला भी लेते हो। शुगर के मरीजों को गुड़ का अधिक मात्रा में सेवन करने से शुगर लेवल बढ़ जाता है।
- गुड़ का अधिक मात्रा में और ज्यादा समय तक लगातार सेवन करने से आप का वज़न बढ़ सकता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस में गुड का सेवन नहीं करें। अगर आप के शरीर में सूजन है तो गुड का सेवन नहीं करें। यह आप के शरीर कि सूजन बढ़ा सकता है।

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