हम हर रोज की दिनचर्या में कई काम करते है जिनमे से कुछ सही और कुछ गलत भी करते है। उन गलत कामो का प्रभाव उसी समय न होकर धीरे-धीरे हमारे जीवन पर पड़ता है। सोना दिनचर्या का अनिवार्य हिस्सा है।
पृथ्वी पर मौजूद प्रत्येक इंसान सोता है, लेकिन कितनो को सोने का सही नियम पता है? आज हम आयुर्वेद व अन्य ग्रंथो के माध्यम से नींद लेने से संबंधित सारी जानकारी आपको देंगे जिसको जानकर आप बहुत से रोगों से तो बचेंगे ही साथ ही साथ अपने शरीर को एक सही नींद दे सकेंगे जो बहुत जरूरी है।
सोने के नियम जानना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी सोने के बाद सुबह उठने का सही तरीका जानना है। जिसे हम अक्सर हल्के में लेते है और नजरंदाज करते है लेकिन इसका सीधा असर हमारे स्वस्थ पर पड़ता है, इसलिए सबसे पहले हम जागने के नियम जानेंगे।
सुबह जागने का सही तरीका
- दायें करवट लेते हुए उठें :- भारत में हमेशा यह संस्कृति रही है कि जागने के बाद आपको अपने दाहिनी ओर करवट लेते हुए बिस्तर छोड़ना चाहिए। जब आप सुबह जागें, तो सबसे पहले अपनी दायीं तरफ घूमें और फिर बिस्तर पर बैठ जाएँ, कहने का तात्पर्य ये है कि कभी ही सीधा न उठें, क्योंकि नींद से उठते समय मेटाबोलिक प्रक्रिया बहुत धीमी होती है। ऐसे में अगर आप अचानक से बिस्तर छोड़ते है या अचानक बाईं करवट लेते हैं तो आप अपने दिल के तंत्र पर दबाव डालेंगे।
- अपने हाथों को आपस में रगड़े :- भारत में सुबह उठने पर अपने हाथो को निहारना, रगड़ना, चेहरे व आँखो को स्पर्स करना आदि का रिवाज है कहा जाता है की इससे ईश्वर के दर्शन हो सकते है। लेकिन आज हम जानते है कि इससे ईश्वर के दर्शन को या न हो ये शरीर के लिए एक अहम प्रक्रिया है। सुबह बिस्तर से उठने से पहले बिस्तर पर बैठे–बैठे ही अपने हाथों को आपस में रगड़े और अपनी हथेलियों को अपनी आँखों पर लगाएं। आपके हाथों में नाड़ियों का एक भारी जाल है। अगर आप अपनी हथेलियां रगड़ते हैं, तो सभी नाड़ियां सक्रिय हो जाती हैं और शरीर तत्काल सजग हो जाता है। सुबह जगने पर भी अगर आप सुस्त महसूस करते हैं, तो ऐसा करके देखिए, आपका पूरा शरीर तत्काल सजग हो जाएगा। तत्काल आपकी आंखों और आपकी इंद्रियों के दूसरे पहलुओं से जुड़ी सारी नाड़ियां सजग हो जाती हैं। शरीर को हिलाने से पहले आपका शरीर और दिमाग दोनों सक्रिय होने बहुत जरूरी है।
- सबसे जरूरी मुस्कुराएं खुशी मनाएं :- ये बात आपको बहुत मामूली लग रही होगी लेकिन आपकी जिन्दगी पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है इसलिए सुबह उठ कर मुस्कुराएं! मुस्कुराने के लिए किसी वजह का होना जरूरी नहीं है, क्योंकि आपका सुबह उठना अपने आप में एक बड़ी बात है। लाखों ऐसे लोग हैं जो कल रात सोये और आज सुबह नहीं उठे, भगवान ने आपको एक दिन और दिया है जीने के लिए, आँखे दी है देखने के लिए, हाथ पैर दियें है बहुत से लोग इसके बगैर ही जी रहे है। सबसे बड़ी बात भगवान ने आपको भारत जैसे अतुल्य देश में जन्म दिया है, इसलिए मुस्कुराएं।
नींद न आने पर
- जिन्हें नींद नहीं आती उन्हें सबसे पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। चन्द्रनाड़ी सक्रिय है तो नींद बहुत अच्छी आयेगी। चन्द्रनाड़ी का मतलब बांयी नाक, सूर्य नाड़ी का मतलब दाहिनी नाक। जब बांयी नाक सक्रिय होता है तो मस्तिष्क का बायां भाग सक्रिय होता है। उसी प्रकार जब दाहिनी नाक चलती है तो मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा सक्रिय होता है।
- मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा पचने की क्रिया से संबंधित है। इसके अतिरिक्त गाली देना, गुस्सा करना, मारा- मारी करना, किसी को जान से मार देना या किसी को अपमानित कर देना। इस तरफ के जितने दुर्गुण है ये सभी दिमाग के दाहिने हिस्से से संबंधित है।
- बाँये हिस्से से प्रेम, वात्सल्य, अपमान, सौहार्द, दुसरो के प्रति सम्मान की भावना है। इस प्रकार के जितने भी सद्गुण ये सभी मस्तिष्क के बायं हिस्से पाचन की क्रिया को बंद करता है।
सांस लेने की क्रिया
- सांस हमेशा सीने में बरना चाहिए लेकिन सोते समय कोशिश करे पेट मे सांस भरे अर्थात साँस लेते समय पेट फूलना और सिकुड़ना चाहिए। काम करते समय हमेशा छाती से साँस लेनी चाहिए।
सोने के लिए शरीर की सही मुद्रा
- हालाँकि शास्त्रों के अनुसार रात में हमेशा सीधे सोना चाहिए, पीठ नीचे, पेट उपर। हाथ हमेशा छाती और पेट के जंक्शन पर होना चाहिए। लेकिन शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान होता है लेकिन एक बात तो सर्वमान्य है कि बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है, आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ शास्त्रीय विधान भी है। आयुर्वेद में ‘वामकुक्षि’ की बात आती हैं। बच्चों के सोने की स्थिति बहुत अच्छी होती है।
- 60 वर्ष से अधिक के लोगो को सीधे लेटकर एक पैर के उपर दूसरा पैर रखकर सो सकते है।
- औधा सोने से आँखे बिगडती है। पेट के बल सोने से हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। एपेन्डिक्स भी हो सकता है। प्रोस्टेट की समस्या आ सकती है।
मासिक चक्र के दौरान
मासिक चक्र के समय स्त्रियों को 3-4 दिन तक पेट के बल सोना चाहिए। मासिक चक्र के समय गर्भाशय फैलने की कोशिश करता है। इसलिए पेट के बल सोने से गर्भाशय नही फैल सकता है। मासिक चक्र के समय मकर आसन में सोना महिलाओं के लिए अच्छा होता है।कितना सोयें
एक सही दिनचर्या के अंतर्गत सही नींद सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। 10 बजे सोना और 4 बजे उठाना सोने के लिए एक आदर्श समय है। आमतौर पर सुबह जल्दी जागने वाले लोगो में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। युवकों के लिए 6 घंटे की नींद काफी है। शारीरक श्रम करने बालों को कम से कम 8 घण्टे सोना चाहिए जो शारीरक श्रम नहीं करते उनको 6 से 6.30 घण्टे सोना चाहिए।रात्री में सोने का नियम
सन्ध्या भोजन के 2 घण्टे बाद ही सोना चाहिए और इस दो घण्टे में खाने का पाचन हो चूका होता है। पाचन सुनिश्चित करने के लिए रात्री में पहले दाहिनी तरफ सोना चाहिए। रात में सोने से पहले टहलना जरूरी है।दोपहर में सोने का सही तरीका
ग्रीष्म ऋतू के अतिरिक्त किसी और ऋतू के दोरान दिन में नहीं सोना चाहिए। दोपहर के भोजन के बाद।खाना खाने के बाद 10 मिनट वज्रासन में जरुर बैठें। पीठ के बल सोना सबसे अच्छा होता है। दोपहर के भोजन के बाद लेटने के लिए बांयी तरफ (वामकुक्षी) होकर लेटना सबसे अच्छा है।
कम से कम 10 से 15 मिनट, इसके बाद थोड़ी देर दाहिनी तरफ 5 मिनट से 10 मिनट, इसके बाद सीधे सो जाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार किसी भी हालत में 60 मिनट से अधिक नहीं सोना चाहिए।
रात में सोते समय 10 से 15 मिनट पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। इसके बाद बायीं तरफ (वामकुक्षी) 10 से 15 मिनट पीठ के बल सोना चाहिए।
कौन सी दिशा में सोयें?
विश्राम करते समय सिर सूर्य की दिशा में हो तो सबसे अच्छा है। कोई मजबूरी होने पर सिर दक्षिण दिशा में करके सोयें अन्यथा नहीं। उत्तर में सिर करके कभी न सोयें। सोने के लिए उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है।
गृहस्थ लोगों के अतिरिक्त सभी लोगों को पूर्व दिशा में सिर करके सोना चाहिए और सभी गृहस्थ लोगों को दक्षिण दिशा में सिर करके सोना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा की ओर सिर रखकर सोने से बुरे बुरे सपने आते है और मन में बेचैनी रहती है। अतः पश्चिम दिशा की ओर सिर रखकर कभी नही सोना चाहिए।
जमीन पर सोने का महत्व
- ज्यादा से ज्यादा जमीन पर सोना शरीर के लिए सबसे अच्छा है। बस ध्यान इतना रखना है की बिछावन पतले से भी पतला हो। जमीन पर बैठे, जमीन पर खाना और जमीन पर ही मरना शास्त्रो में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अतः प्राण निकलते समय जमीन पर होना सबसे अच्छी मृत्यु माना गया है।
- जमीन पर कुश की चटाई बिछाकर सोना सबसे अच्छा है। सोते समय जमीन और शरीर के बीच न तो सुचालक स्थिति ज्यादा हो और न ही कुचलक स्थिति ज्यादा हो।
- बांस या पलाश की लकड़ी से बने पलंग पर नहीं सोना चाहिए, सिर को नीचे लटकाकर नहीं सोना चाहिए।


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