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चीनी एक सफेद जहर

चीनी एक सफेद जहर

चीनी एक सफेद जहर

चीनी की सच्चाई जानने के बाद आप कभी चीनी नहीं खायेंगे क्योंकि ये एक सफेद जहर के अलावा कुछ और नहीं है। क्या आप जानते है आज 95% से ज्यादा लोग मोटापे से पीडित क्यों है? इसका एक सबसे बड़ा कारण चीनी को रोजमर्रा की जरुरतो का हिस्सा बनाना भी है। जिसके कारण बहुत सी गंभीर समस्याएं जैसे डायबिटीज, हार्ट प्रोब्लम्स, रक्तचाप, मानसिक कमजोरी, भुलक्कड़पन्न आदि उतपन्न हो रही हैं। 

चीनी में शरीर को काम आने वाला एक भी पोषक तत्व नहीं होता है। क्योंकि चीनी बनने की प्रक्रिया में सल्फर डाइऑक्साइड, फॉस्फोरिक एसिड , कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड, एक्टिवेटेड कार्बन आदि कैमिकाल्स का उपयोग किया जाता हैं। तत्पश्यात इसे अतिउच्च तापमान पर गर्म करके अति ठंडी हवा में सुखाया जाता हैं। इस प्रक्रिया में उसके सारे पौष्टिक तत्त्व, खनिज, प्रोटीन्स, विटामिन्स आदि नष्ट हो जाते है और एक सफेद चमकदार जहर बनकर तैयार हो जाता है।

आखिर चीनी क्यों है जहर ?

शरीर के लिए आवश्यक शक्कर की आपूर्ति अनाज, फल, फलियाँ, कंदमूल, दूध आदि में से प्राकृतिक शर्करा के रूप में आराम से हो जाती है। प्राकृतिक शर्करा शारीरिक क्रियाओं के लिए ईंधन का कार्य करती है। जबकि चीनी का मीठापन शुक्रोज के कारण होता है जो शरीर में हजम नहीं होता है और होता भी है तो बहुत मुश्किल से होता है। जिसके साथ इसे आप खायेंगे उसे भी ये हजम नहीं होने देगा। 

चीनी स्वयं को पचाने हेतु शारीरिक शक्ति व शरीर के आधारभूत तत्त्वों का अपव्यय करती है। शरीर के महत्त्वपूर्ण अंग – हड्डी, ह्रदय, मस्तिष्क, अग्न्याशय, यकृत आदि की कार्यप्रणाली को अस्त-व्यस्त कर देती है। शरीर पर इसका परिणाम धीरे-धीरे असर करने वाले जहर के सामान होता है। पचने के बाद भी चीनी शरीर में एसिड की मात्रा बढ़ा देता है जिससे हमारे शरीर में रोग पैदा होते हैं। 

जो मीठापन हमारे काम का है उसका नाम है फ्रक्टोज। चीनी को छोड़कर भगवान की बनाई हर मीठी चीज में फ्रक्टोज होता है। हम जानते है कि शक्कर तीन प्रकार की होती है- ग्लूकोज, शुक्रोज और फ्रक्टोज। गुड़ की मिठास और सभी फलों में मीठापन फ्रक्टोज के कारण ही होता है। जो कि प्रकृति के द्वारा बनाई हुयी वस्तुओ में ही पायी जाती है अर्थात इस प्रकार की वस्तुएं डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं। शहद भी खा सकते है बशर्ते इनके साथ त्रिफला लेते रहें।

चीनी की सच्चाई

चीनी भारत की नहीं है ये एक विदेशी वस्तु है। चीनी तभी से भारत में आयी है जब से अंग्रेज आए है। 1868 में सबसे पहली चीनी मील लगी। पहले इसे मुफ्त में बंटवायी गयी। चीनी में सबसे ज्यादा सल्फर पाया जाता है। जिसे हिंदी में गंधक कहते है। जो की पटाखे बनाने में इस्तेमाल होता है। ये सल्फर अंदर जाने के बाद शरीर से कभी बाहर नहीं निकलती है।

लम्बे समय तक चीनी का उपयोग करने से बेहद गम्भीर समस्याए उतपन्न होती है। चीनी से मोटापा बढ़ता है। चीनी से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है जिससे 103 बीमारियां आती है। चीनी छोड़ने के बाद घुटने का दर्द, कमर दर्द, गर्दन का दर्द, माइग्रेन, सर्दी-जुखाम सब में आराम मिलेगा। नींद अच्छी आयेगी। स्नोफीलिया, साइनस जैसी बीमारियों से भी लाभ मिलने लगेगे। इसके आलावा चीनी प्रकृति को भी दुरी तरह नुकसान पहुचता है। इसे बनाने में पानी बहुत बर्बाद होता है। चीनी मीलों के कचरे से वातावरण में बहुत प्रदूषित होता है।

हड्डी व दांतों के रोग

चीनी से उतपन्न एसिड उनके दाँतों के संरक्षक आवरण ‘इनेमल’ को नष्ट करते हैं। इसके अलावा चीनी को पचाने के लिए आवश्यक कैल्शियम हड्डियों व दाँतों में से लिया जाता है। इसके बाद शरीर में कैल्शियम व फॉस्फोरस का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे हड्डियाँ दुर्बल होकर जोड़ों का दर्द, कमरदर्द, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, दंतविकार, साधारण चोट लगने पर फ्रैक्चर, बालों का झड़ना आदि समस्याएँ उतपन्न होती हैं। 

डायबिटीज़

चीनी में अधिक केलोरीज़ पाई जाती हैं। इसमें कोई पोषक तत्व नहीं पाए जाते। इसके सेवन से चर्बी बहुत बढ़ जाती है। इससे मोटापा बढ़ता है जिससे सैकड़ो बीमारियां उतपन्न होती है। इसमें पहला नम्बर डायबिटीज़ का ही आता है। ओबेसिटी के कारण शरीर में इंसुलिन की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है। इसलिए डायबिटिक पेशेंट्स को चीनी का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। आहार में चीनी जितनी अधिक, उतना ही मोटापे का भय ज्यादा।

वीर्य को पतला करता है

चीनी के अधिक इस्तेमाल से ही हमारे शरीर विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की कमी होने लगती हैं। इससे पाचन व स्नायु संबंधी रोग होते हैं। चीनी रक्त की अम्लीयता को बढाकर त्वचा के रोग उतपन्न करती हैं। इससे वीर्य में पतलापन भी आता हैं।


बुढ़ापा जल्दी आता है

रक्त में अम्लता के कारण त्वचा पर गलत प्रभाव पड़ता है जिससे शरीर तेजी से बुढ़ापे की ओर बढ़ता हैं। समय से पहले ही चेहरे पर झुर्रियां आ जाती हैं। हॉलैंड के विश्वविद्यालय के शोध की मानें तो जिसके शरीर में जितना शुगर होगा, वो उतनी तेजी से बुढ़ापे की ओर बढ़ेगा।

हार्ट प्रोब्लम्स

शारीर में एचडीएल (लाभदायी कोलेस्ट्रॉल) हार्ट अटैक से बचाता है। जबकि ट्रायग्लिसरॉयड व कम एचडीएल के कारण हार्ट प्रोब्लम्स के चांसेस और बहुत बढ़ जाते है। चीनी का इस्तेमाल करने से लाभदायी कोलेस्ट्रॉल घटाती है और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (LDL) तथा ट्राइग्लिसराइड्स को बढती है। इसके अलावा चर्वी के कारण रक्तवाहिनियों की दीवारें मोटी हो जाती है। इससे भी उच्च रक्तचाप तथा ह्रदयरोग उतपन्न होता है। 

कैंसर

जी हाँ चीनी से कैंसर तक हो सकता है। अनुसंधान की मानें तो चीनी कैंसर की कोशिकाओं का परिपूर्ण आहार है। डॉ. थॉमस ग्रेबर ने सिद्ध किया कि कैंसर कि कोशिकाओं को आहार के रूप में शक्कर न मिलने पर वे मृत हो जाती हैं। अर्थात जो व्यक्ति चीनी नहीं खाते है उन्हें कैंसर हो ही नहीं सकता है। 

कैंसर एक जान लेवा बीमारी है। लाखो रूपये खर्चने और दर्दनाक इलाज (कीमो थेरेपी) के बाद भी आयदीन इससे लोग मरते है। ऐसी स्थिति में लोगो को चीनी के प्रति जागरूक करना अति आवश्यक है। 

वैज्ञानिक के अनुसार, चीनी का इस्तेमाल करने से शरीर में इंसुलिन बढ़ता है जिससे कैंसर की समस्या उतपन्न हो सकती है। इसके अलावा चीनी के कारण रोगप्रतिकारक प्रणाली कि कार्यक्षमता घटने व अन्य आवश्यक तत्त्वों का आभाव पैदा होने से भी कैंसर फैलने में मदद मिलती हैं। इससे अन्य घातक रोगों के विषाणुओं का संक्रमण होने की सम्भावनाएँ भी बढ़ जाती हैं।

चीनी न खाए तो क्या खायें ?

प्राचीन समय से ही गुड़ को स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है। जबकि चीनी को सफेद जहर माना जाता है। गुड़ में पोटेशियम, फास्फोरस, कैल्सियम आदि सभी पोषक तत्व है। गुड़ बनाने के लिए बाहर से कुछ भी मिलाया नहीं जाता है। भोजन के बाद थोड़ा गुड़ जरुर खायें क्योंकि ये भोजन को पचाने में बहुत मदद करता है। अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। इसके आलावा आप मिश्री, बुरा और शहद का उपयोग कर सकते है लेकिन संतुलित मात्रा में क्योंकि अति हर चीज की बुरी ही होती है।

सावधानियां

टी.वी. या किसी भी प्रकार से प्रचारित की जाने वाली वस्तु के प्रयोग से बचें या सेवन न करें खास कर विदेशी वस्तुए क्योंकि विदेशी व्यपारियों का बस चले तो वे अपने देश का कचड़ा भी टेस्टी बना कर खिला दें। अगर थोड़ी समझदारी से देखें तो हमारे आस पास ऐसा ही हो रहा है। अगर आपको कोई वस्तु प्रयोग करना भी है तो प्रयोग करने से पूर्व उस वस्तु के बनने की विधि अवश्य जान लें। 

सॉफ्टड्रिंक्स, फलों का बाजारू रस, चॉकलेट्स, आइसक्रीम, डेस्टर्स, जैम, प्रेस्टीज, बिस्किट्स, मिठाइयाँ आदि में चीनी अनर्थकारी मात्रा में पायी जाती हैं।

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