आदिकाल से ताम्बे के बर्तन का प्रयोग :
यह बात अवश्य है कि भूतकाल में हमारे भारत में कई कुरीतियाँ या बुराइयाँ फैली थी पर उस जमाने में विद्वानों, विचारकों के साथ ही साथ कई वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता भी थे जोकि अपने प्रयोगों से प्रकृति के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते रहते थे।
तांबे के बर्तन में पानी पीने का लाभ:
- तांबा एक ऐसी धातु है जिसका प्रयोग ज्यादातर पानी पीने के बर्तन बनाने में किया जाता था। अगर तांबे के पात्र में रखा पानी कुछ अशुद्ध है तो यह कुछ घंटो में पानी के साथ प्रतिक्रिया करके शुद्ध हो जाता है। साथ ही तांबा के बर्तन में रखा जाने वाला पानी रासायनिक प्रतिक्रिया करके जीवाणुनाशक बन जाता है।
- यह पानी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यह पानी रक्त को शुद्ध करता है,
- पाचन तंत्र सुदृढ़ करता है।
- यह माना जाता है कि तांबे के बर्तन में रखे पानी में जीवाणुरोधी (antimicrobial), एंटीऑक्सीडेट (antioxidant), कैंसररोधी (anti-cancer) और एंटीइन्फ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुण आ जाते हैं।
- आयुर्वेद के अनेक प्राचीन ग्रंथों में अलग-अलग प्रकार के बर्तनों में रखे पानी का उपयोग करने का वर्णन किया गया है तथा तांबे के बर्तन में रखे पानी को शरीर के लिए बहुत गुणकारी बताया गया है।
- इन्ही खूबियों को जानकर हमारे महान पूर्वज तांबे के पात्र को पानी रखने और पीने के काम में लेते थे।
- आधुनिक शोध के अनुसार:
- वर्ष 2012 में हुई एक स्टडी में यह पता चला था कि सामान्य तापमान पर तांबे के बर्तन में 16 घंटे तक रखने पर दूषित (contaminated) पानी में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं की संख्या में कमी आ गई थी। वैज्ञानिको ने प्रयोग के तौर पर ऐसे पानी को लिया कि जिसमे पेट के पेचिश रोग को पैदा करने वाले वायरस, अमीबा ई-कोली थे। कुछ घंटो के पर्यवेक्षण के बाद वैज्ञानिको ने देखा कि हानिकारक बैक्टीरिया पूरी तरह से समाप्त हो चुके थे।
- भारत में तो लोग सदियों से इस बात को जानते हैं कि तांबे के बर्तन में रखे पानी में औषधीय गुण आ जाते हैं. एक रिसर्च में यह पता चला कि अस्पतालों में तांबे की सतहों की मौजूदगी से ICU में पाए जाने वाले 97 प्रतिशत बैक्टीरिया नष्ट हो गए जिनसे होनेवाले इन्फेक्शंस में 40 प्रतिशत की कमी आई.
- भारतीय योगी सद्गुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं, “तांबे के पात्र में रात भर या कम से कम चार घंटे तक रखे गए पानी में तांबा धातु के वे गुण व्याप्त हो जाते हैं जिनसे हमारे शरीर, विशेषकर हमारे लीवर को बहुत लाभ पहुंचता है. यह शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान रखता है”।
- ताम्बे के बर्तन में रखे पानी पीने के लाभ (Benefits from water stored in Copper vessel) :
- यह हमारे पाचन तंत्र को सुधारता है।
- वजन संतुलित रखने में सहायक है।
- घावों को जल्दी भरता है।
- बुढ़ापे की दर को कम करता है।
- हमारे हृदय (cardiovascular) तंत्र को पुष्ट करता है।
- हाइपरटेंशन (hypertension) में लाभदायक है.
- कैंसर का प्रतिरोधक है।
- बैक्टीरिया को मारता है।
- दिमाग को स्टीमुलेट करता है।
- थायराइड को नियंत्रित करता है।
- संधिवात (arthritis) और जोड़ों की सूजन कम करता है।
- खून की कमी (anemia) दूर करता है।
- कोलेस्ट्रोल कम करता है।
- लीवर, स्प्लीन और लिंफ सिस्टम (lymph system) के लिए टॉनिक का।
- काम करता है।
- मलेनिन (melanin) की रक्षा करता है।
- शरीर को लौह तत्व (iron) एब्सॉर्ब करने में सहायक है।
- किडनियों को साफ करता है।
ये सावधानियां रखे ध्यान:
- जिस तांबे के बर्तन से आप पानी पीते हैं वह बर्तन एक दो दिन में धुलना अवश्य चाहिए। इसका कारण यह है कि तांबा पानी के साथ प्रतिक्रिया करके कॉपर ऑक्साइड बना देता है जोकि जंग जैसा बर्तन की दीवारों पर जम जाता है। इसे साफ करना आवश्यक है अन्यथा यह पानी धातु के लाभदायक फायदे नहीं दे पायेगा। तांबे के बरतन साफ करने का आसान उपाय है नींबू अथवा खटाई, केचप या फिर नमक और सफ़ेद सिरका से रगड़ कर साफ करना और फिर किसी डिटरजेंट से धो लेना।
- आजकल तांबे के बने बर्तनों के उपयोग के नाम पर बस तांबे के छोटे से लोटे दिखते है जिसे घर-मंदिर में पूजा पाठ और सूर्य को अर्घ्य देने में प्रयोग किया जाता है. एक समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने पूर्वजो की परम्परा का पालन करे या न करे पर कम से कम इतने फायदे जानकर ही सही तांबे के बरतनों का प्रयोग करे।

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