आम धारणा है कि नहाने से मनुष्य स्वस्थ रहते है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज के दौर में नहाना सेहत से खिलवाड़ करने के बराबर है। इस लेख में हम नहाने पर हुए आधुनिक शोध और आयुर्वेदिक तरीके पर प्रकाश डालेंगे। इस लेख में आपको स्नान से जुड़ी सारी जानकारी मिल जाएगी।
शास्त्रों में इसपर गहराई से अध्ययन किया गया है। शास्त्रों मे ब्रहम् स्नान या शाही स्नान, देव स्नान, ऋषि स्नान, मंत्र स्नान, भैम स्नान, अग्नि स्नान मानव स्नान, दानव स्नान, वारूण स्नान, मानसिक स्नान, दिव्य स्नान, वायव्य स्नान कुल 12 प्रकार के स्नान का जिक्र है। जिनमे 5 ऐसे स्नान है जो आपको जनना चाहिए -
- ब्रह्म स्नान: - जो स्नान ब्रह्ममुहूर्त में भगवान का स्मरण करते हुए किया जाता है।
- देव स्नान: - सूर्योदय से पूर्व देवनदियों में या देवनदियों का स्मरण करते हुए किया गया स्नान।
- ऋषि स्नान:- सुबह-सुबह जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों तब जो स्नान किया जाता हैं।
- मानव स्नान: - जो सामान्य स्नान सूर्योदय के पूर्व किया जाता है।
- दानव स्नान: - जो स्नान सूर्योदय के बाद चाय-नाश्ता करने के बाद 8-9 बजे तक या और बाद में किया जाता है।
नहाने का सही समय क्या है?
शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म स्नान, देव स्नान और ऋषि स्नान अर्थात सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले स्नान ही श्रेष्ठ होते हैं। शास्त्रों में तो यहाँ तक कहा गया है कि ऐसा स्नान करने वाले को इष्टदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है।हमने जाना कब नहाये, अब जानेंगे किस चीज से और कैसे नहाना चाहिए। भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए आज भी कुछ लोग हैं जो साबुन का इस्तेमाल नहीं करते और अपने शरीर के लिए बेसन, मलाई, दूध आदि का इस्तेमाल करते हैं।
साबुन क्यों है हानिकारक
अमेरिका
में हुए एक शोध में बताया गया कि साबुनों में आम तौर पर ट्रिकलोसन और
ट्रिकलोकार्बन जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनसे सेहत को भारी
नुकसान हो सकता है और जो हार्मोन में बदलाव करने के लिए जिम्मेदार हैं। एक
अन्य शोध पता लगा कि एंटी बैक्टीरियल सोप के फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते
हैं।
एंटीसेप्टिक साबुन हमारी त्वचा पर लाभप्रद जीवाणुओ को भी नष्ट कर देते
हैं जो रोगो और बीमारियो से लड़ने में हमारी त्वचा की मदद करते हैं। और आप जनते ही होंगे, साबुन सोडियम आक्साइड यनी कास्टिक सोडा से बनता है, जो कि कफ को
भड़काने वाली वस्तु है। अतः साबुन कभी भी न लगाएं।
शरीर त्वचा के लिए एक एमिनो एसिड्स और क्षारो का निर्माण करता हैं जो शरीर का प्राकृतिक मॉइस्चराइजर होता है और त्वचा की रक्षा करता हैं। साबुन के प्रयोग से ये मॉइस्चराइजर नष्ट होता हैं और त्वचा रूखी हो जाती हैं।
क्या आप जानते है मशहूर अभिनेत्री हेमा मलिनी बेसन और मलाई से नहाती है क्योंकि कैमिकल युक्त चीजों को लगाकर आप थोड़ी देर तो स्वयं को साफ सुथरा महसूस कर सकते है लेकिन लम्बे समय तक ऐसा करने से आपके त्वचा और चेहरे का सौंदर्य तो खत्म होगा ही साथ में अनेको बीमारियाँ भी आयेंगी। साबुन के नियमित प्रयोग से बालो की जड़े कमज़ोर पड़ती हैं, साथ ही बाल तेज़ी से सफ़ेद होते हैं। बालो की या त्वचा की अगर कोई भी समस्या हो तो भी भूलकर भी साबुन या शैम्पू इस्तेमाल ना करे।
नहाने की विधि
नहाते समय सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए। बाद में पूरे शरीर पर पानी डालना चाहिए। इस प्रकार नहाने से हमारे सिर एवं शरीर के ऊपरी हिस्सों की गर्मी पानी के प्रवाह के साथ पैरों से बाहर निकल जाती है। लेकिन अगर आप गर्म पानी से नहा रहे हैं तो आपको पैरों की उंगालियों से धोना शुरु करते हुए फिर सिर तक आना चाहिए। शरीर को रगड़-रगड़ कर नहाना चाहिए।
नहाने का पानी
पानी में डेटौल आदि केमिकल डाल कर अक्सर हम नहाने की गलती करते है। इसकी जगह बाजार मे मिलने वाला गौझरण या गौअर्क की कुछ बूंदे पानी में डालकर कीटाणु रहित व पवित्र बनाकर नहा सकते हैं। इसके अलावा आप नहाने के पानी के नीम के पत्ते मिलाकर कुछ समय छोड़ सकते है, फिर इस पानी से नहा लें।
पानी का तापमान सामान्य या थोड़ा ठंडा भी है तो अच्छा। लेकिन आप गर्म पानी से भी नहा सकते है, खासकर अस्वस्थ शरीर अथवा कफ अधिक होने पर गर्म पानी से नहाना चाहिए। सिर पर गर्म पानी डालकर कभी न नहायें। नहाते समय सिर को सामान्य तापमान के पानी से ही धोना चाहिए।
साबुन का विकल्प
नहाने का एक तरीका ये है कि गीले टॉवल को शरीर पर रगड़-रगड़ के पानी से नहा ले। पसीने कि गंध को खत्म करने के लिए, निम्बू निचोड़ने के बाद जो छिलका बच जाता है उसे उल्टा कर लें, उसे पुरे शरीर पर रगड़ कर नहा लें।- मुल्तानी मिट्टी और दही: - मुल्तानी मिटटी को रात भर दही में रखें। सुबह तक मुल्तानी मिटटी मुलायम हो जायगी। इसका पेस्ट बना कर साबुन कि तरह लगाकर नहायें। मुलतानी मिट्टी से नहाने से चेहरे और बालों के रोमछिद्र खुलते हैं जिससे बालों की समस्या और चेहरे की बीमारियां दूर होती हैं।
- बेसन और मलाई: - बेसन में मलाई मिलाकर पेस्ट बनाये उसे रगड़-रगड़ के शरीर पर लगाकर गरम पानी से नहा लें। बिलकुल तरोताजा महसूस करेंगे।
- आटा और शहद: - नहाते समय कफ को कम करने वाली वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। जैसे- चने का आटा, चन्दन की लकड़ी का पाउडर, मसूर की दाल का आटा, कोई भी मोटा आटा, मुंग की दाल का आटा खास कर बच्चों का स्नान इन्ही से कराएं। मसूर कि दाल का आता और शहद मिलाकर पेस्ट बना ले और उसे लगाकर गर्म पानी से नहाये।
- गोबर: - शास्त्रों में गोबर से स्नान का बहुत महत्व है राजा महाराजा गोबर से स्नान करने यज्ञ करते थे। देसी गाय के गोबर को लगा कर भी आप नहा सकते है।
- उबटन:- उबटन को साबुन की तरह पुरे शरीर पर लगाकर भी नहा सकते है। मेरा पसंदीदा है दही और मुल्तानी मिट्टी का पेस्ट और कभी-कभी बेसन और दूध का पेस्ट। ये सभी वस्तुए शरीर को बहुत अच्छी तरह साफ करती है और इसके बाद आपको किसी मॉइस्चराइजर कि जरूरत नहीं पडती है।
सैम्पू का विकल्प
बालो को देसी तरीके से जैसे आंवले, रीठे, शिकाकाई से या बेसन मलाई से धुलाई करे। मुल्तानी मिट्टी, रीठा पाउडर और शिकाकाई पाउडर तीनो को बराबर मात्र में मिलाकर एक कंटेनर में रखें। यह मिश्रण एक साल तक खराब नहीं होती है। नहाने से पहले 1 चम्मच 1 क्लास पानी में मिलाकर सबसे पहले बाल धो लें। बाल झड़ने की समस्या खत्म हो जायगी। इसी पानी को शरीर पर लगाकर नहायें।
सावधानियां
- आयुर्वेद में बहुत कड़े शब्दों में कहा गया है कि गर्म पानी सिर और आँखों पर न डाले। ऐसा करने पर 123 तरह कि बीमारियाँ आएँगी।
- आपको जानकर हैरनी होगी कि हमारे प्राचीन ग्रथों में लिखे गए नहाने के नियमों को जापान में खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।
- शास्त्रों में नहाने से पहले तेल मालिश का विधान है यकीन मानिये तेल मालिश के बहुत फायदे है। यह मांसपेशियों को रिलैक्सन करने है।
- हालांकि स्नान करते समय जल्दी नहीं होनी चाहिए, लेकिन बहुत देर तक भी नहाना ठीक नहीं होता।
- विदेशी कंपनियां आपको लुभाने वाले/लत लगाने वाले प्रोडक्ट बनती है। उनके प्रोडक्ट में कोई हानिकारक वास्तु है या नहीं, उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं होती है। ज्यादा से ज्यादा पैसे बनाने की चिंता होती है। इसलिए टी.वी. के विज्ञापनों पर कभी भी विश्वास न करें। कोई प्रोडक्ट इस्तेमाल करते भी है तो पहले उसके बनने कि प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी लें।

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