चरक संहिता के अनुसार अनुचित खानपान ही शरीर में रोग का मुख्य कारण है। स्वस्थ रहने के लिए हमारे देनिक जीवन में कुछ छोटे-छोटे बदलाव बहुत जरूरी है।
रोग के इलाज से ज्यादा जरूरी उससे बचाव है इसीलिए हमे स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद के मूलभूत नियमो का पता होना ही चाहिए। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कोई रोग नहीं रुक सकता है।
अगर हम किसी कारण से बीमार भी हो जाए तो 85% ऐसे रोग होते है जिनका इलाज व्यक्ति स्वयं कर सकता है। महर्षि वाग्भट्ट के अनुसार भोजन ही हमारी औषधि है, अर्थात औषधि के प्रयोग से मिलने वाला लाभ उचित आहार लेने से भी मिल सकता है। सही भोजन लेना औषधि लेने से 100 गुना अधिक लाभदायक है। पूर्वज ऋषि मुनिओ कि सौ साल तक जीने की एक बड़ी वजह भोजन करने का नियम थी।
अगर हम किसी कारण से बीमार भी हो जाए तो 85% ऐसे रोग होते है जिनका इलाज व्यक्ति स्वयं कर सकता है। महर्षि वाग्भट्ट के अनुसार भोजन ही हमारी औषधि है, अर्थात औषधि के प्रयोग से मिलने वाला लाभ उचित आहार लेने से भी मिल सकता है। सही भोजन लेना औषधि लेने से 100 गुना अधिक लाभदायक है। पूर्वज ऋषि मुनिओ कि सौ साल तक जीने की एक बड़ी वजह भोजन करने का नियम थी।
भोजन के नियम
- सर्वप्रथम मधुर रस के भोजन जैसे कि मीठी सब्जी, मिठाई इत्यादि का सेवन करना चाहिए। तत्पश्चात आम्ल और लवणीय भोजन को खाएँ। अंत में कसैले, कड़वे और कशाय भोजन का सेवन करना चाहिए।
- सबसे पहले कठोर पदार्थों का सेवन कीजिए। उसके बाद रस-युक्त और तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- भोजन के एक ग्रास को 32 बार चबाना चाहिए।
- भोजन खाते समय पानी नही पीना चाहिए। इससे पाचक अग्नि मंद पड़ जाती है। भोजन लेते समय पानी का इस्तेमाल विवेक पूर्वक ही करें। भोजन खा लेने के कम-से-कम 1 घंटे तक जल का सेवन नही करना चाहिए।
- अधिक गर्म भोजन के सेवन से कमज़ोरी आती है। जबकि ठंडे और बासी भोजन को पचाने के लिए पाचन तंत्र को अधिक श्रम करना पड़ता है। इससे अपच भी होता है।
- फल को मुख्य भोजन से या तो 1 घंटा पहले खाएँ अथवा 2 घंटे बाद ही खाएँ। यदि आप साथ में फल खाते है तो आपको गैस हो सकती है
- भोजन के 1-2 घंटे तक व्यायाम या मैथुन ना करें
- रात के भोजन करने के बाद कम से कम 100 कदम अवश्य चलें
- खाने के तुरंत बाद पानी पीने से कफ बढता है ,लेकिन खाने के बीच बीच मे थोडा थोडा पानी पीने से अग्नि बढती है।
सही समय पर, सही तरीके से और सही मात्रा मे खाने का महत्व:
- जो व्यक्ति खाने के समय के पहले ही खा लेते हैं उन्हें सिर दर्द और इनडाइजेसन जैसे रोग हो जाते हैं।
- जो व्यक्ति खाने के समय के बहुत बाद खाना खाते हैं उनकी जठराग्नि को पेटकी वायु नष्ठ कर देती है, जिससे खाने के पचने मे कठनाई होती है और बाद मे खाना खाने की भी इच्छा नहीं होती है। शरीर मे आलस्य सा बना रहता है।
- खाने के तुरंत पहले पानी पीने से शरीर पतला ,खाने के तुरंत बाद पानी पीने से शरीर मोटा और बीच बीच मे थोडा-थोडा पानी पीने से शरीर समान (ना मोटा ना दुबला) रहता है।
- खाना खाते ही तुरंत पैदल चलना, महनत करना ,या तुरंत सोना सही नहीं है।
- जो व्यक्ति किसी तरह की शारीरिक महनत के तुरंत बाद ,या कही से थका हुआ आकर बिना पसीना सुखाये खाने लगता है या बहुत सारा पानी पी लेता है उसे बुखार या उल्टी हो जाता है।
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