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एक गोत्र में शादी न करने का वैज्ञानिक कारण

एक गोत्र में शादी न करने का वैज्ञानिक कारण

भारत परम्पराओं का देश है। और इन्ही परम्पराओं की वजह से भारत दुनिया में एक अलग आकर्षण है। कुछ लोग इन्हें अंधविश्वास मानते है जबकि बहुत से लोग आज भी इन परम्पराओं को निभा रहे है।


अगर हम इन परम्पराओं को वैज्ञानिक दृष्टि से देखते है तो पाते है कि हमारे ऋषि मुनियों और पूर्वजों ने गहन अध्ययन करके मनुष्य के लाभ के लिए इनको शुरू किया था। विज्ञान भी प्रमाणित कर चूका है की यह परम्पराए हमे बहुत से बीमारियों और समस्याओ से बचाता है।

एक गोत्र में शादी नही करना :

धार्मिक मान्यता के अनुसार समान गौत्र या कुल में शादी करना प्रतिबंधित है। मान्यता के अनुसार एक ही गोत्र का होने के कारण स्त्री पुरुष भाई बहन कहलाते हैं क्योंकि उनके पूर्वज एक ही है। इसीलिए एक ही गोत्र में शादी नही की जाती है।

एक गोत्र में शादी क्यों नही करनी चाहिए: 

एक ही गोत्र में शादी न करने का वैज्ञानिक तर्क ये है की समान गौत्र के होने के कारण चाहे वे भाई बहन हो या ना हो लेकिन उनके गुणसूत्र (क्रोमोजोम) समान पाए गये है इसीलिए अगर एक गोत्र के स्त्री, पुरुषो की शादी होती है तो उनके बच्चे अनुवांशिक (जेनेटिक) बीमारियों के साथ पैदा होते है। 

ऐसे बच्चो में अनुवांशिक कोष जैसे मानसिक कमजोरी, अपंगता आदि गंभीर रोग जन्मजात ही पाए जाते है। ऐसे बच्चो की विचारधारा, व्यवहार आदि में कोई नयापन नही होता है। और उनमे रचनात्मकता का अभाव होता है 

इसीलिए अलग गोत्र में शादी करने से स्त्री पुरुष के गुणसूत्र, जींस आपस में नही मिल पाते है जिससे उनके बच्चो में अनुवांशिक बिमारिओ का खतरा नही होता है।

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