
माइग्रेन के लक्षण और उपचार
माइग्रेन का एलोपैथी में तो कोई इलाज नहीं है लेकिन इस चिकित्सा पद्धति में लक्षणों को दवाओ के माध्यम से कम या नियंत्रित किया जाता है। परन्तु आपको घबराने कि आवश्यकता नहीं है क्योकि आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी आदि में इसका दोषमुक्त उपचार मौजूद है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, जलनेति, पंच क्रम, शत क्रम जिसमे खास तरह की जड़ी-बूटियों से तैयार काढ़ा और तेल गुनगुना करके माथे के बीच में डाला जाता है। 15 से 20 मिनट चलने वाली यह शिरोधारा की प्रकृति 25 से 30 दिन चल सकती है जिसमे मरीज को बहुत आनंद और रहत की अनुभूति होती है।
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यहाँ पर आपको बता दें कि एलॉपथी से इतर आप जब भी किसी चिकित्सा पद्धति की बात करते है तो उसमे रोग के मूल कारण को ख़त्म करने पर जोर दिया जाता है इसलिए ये आवश्यक हो जाता है कि पहले आप अपने लाइफ स्टाइल और अपने खान-पान में कुछ बदलाव लाये। जैसे माइग्रेन, इसके बहुत से कारण हो सकते है, लेकिन यह वात विकार से संबंधित रोग है अर्थात गलत खानपान करना या सही खानपान न करना, व्यायाम या वाक न करना जिससे पाचन संबंधी समस्या हो सकती है अथवा क्रोध, इर्ष्य, दुःख आदि भावनावो को अपने उपर हावी होने देना।
इस लेख के माध्यम से हम माइग्रेन के लिए आवश्यक घरेलु उपचार, मुद्रा, एक्यूप्रेशर पॉइंट, योग प्राणायाम और दूसरी आवश्यक बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे। लेकिन पहले आपसे अनुरोध रहेगा कि रोग के मूल कारण को हटाने के लिए एक संतुलित जीवन जीना शुरू कीजिये। अगर आप जंक फूड खाते है तो फल, सब्जिय और सलाद भी खाइए आगर आप शारीरक श्रम वाला कार्य नही करते है तो व्ययक और वाक कीजिये, अगर आप गुस्सा, दुःख और चिन्ता करते है तो आनंदित, भग्यशाली और प्रेम कि भावनाओ का भी अनुभव कीजिए चाहे ये भावनाएं कृत्रिम ही क्यों न हो, लाभ उतना ही होगा जितना सच्ची भावनाओ से होता है।
माइग्रेन के लक्षण
सिर के एक हिस्से या पूरे सिर में दर्द होना आदि लक्षण होते हैं। माइग्रेन के कारण होने वाले सिरदर्द से दृष्टि संबंधी परेशानियां होती है, इसमें मरीज को रुक-रुककर चमकीली रोशनी, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं दिखाई देती हैं, आंखों के सामने काले धब्बे भी दिखाई दे सकते हैं, स्किन में चुभन का अहसास होता है और कमजोरी महसूस होती है। इसमें आंखों के नीचे काले घेरे होना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन हो सकता है।
माइग्रेन का उपचार
- माइग्रेन का असहनीय दर्द दूर भगाने के लिए रोजाना शुद्ध देसी घी की 2-2 बूंदें नाक में डालें। रात में सोने से पहले इसे नाक में डालकर धीरे धीरे सांस भरे।
- बादाम रोगन के 2-2 बूंद भी नाक में डाल डाल सकते है। नर्वस सिस्टम के किसी भी समस्या के लिए दूध में 1 चम्मच बादाम रोगन डालकर पी भी सकते है।
- एक चम्मच अदरक के रस में शहद मिला लें। इस मिक्सचर को पीने से जल्दी फायदा मिलता है। अदरक का टुकड़ा मुंह में रख लें। इससे मिचली की समस्या में भी राहत मिलती है। अदरक का किसी भी रूप में सेवन करने से फायदा मिलता है।
- दालचीनी को पानी के साथ पीसकर आधे घंटे तक माथे पर लगाकर रखें। जल्दी आराम मिलेगा।
- सिर के जिस हिस्से में दर्द हो रहा हो, वहां पर हल्के हाथों से मसाज करवा लें। पिपरमिंट के तेल की मालिश जल्दी राहत देती है।
- सिर और गर्दन पर तौलिया में बर्फ की सिंकाई करने से आराम मिलेगा।
- लगभग एक चौथाई चम्मच तुलसी के पत्तों के पाउडर सुबह - शाम शहद के साथ चाटने से माइग्रेन के दर्द में आराम आता है।
- बादाम और अखरोट को रातभर भिगोये और सुबह इसका नट मिल्क बनाकर पी लें।
- गेहू के ज्वार का रस पिएं।
- शुद्ध घी में 4-5 काली मिर्च रोज तलकर सेवन करें।
- आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि देसी घी में बनी हुई जलेबी और गाय का दूध लेने से आपको तुरंत लाभ मिलेगा।
- यूकेलेपटिस की पत्तों का लेप सिर पर लगाएं। मेहंदी की पत्तियों को भी पीसकर माथे पर लेप लगा सकते है। इसके अलावा कपूर पीसकर देसी घी में मिलाकर, इसे माथे में रगड़े।
- सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो लौंग पाउडर में सेंधा नमक मिलाकर दूध के साथ पिएं।
- एक चुटकी नौसादर और आधा चम्मच अदरक का रस शहद में मिलाकर चाटिए।
- सौंफ,धनिया और मिश्री सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे दिन में तीन बार लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।
- दस ग्राम सौंठ के चूर्ण को लगभग 60 ग्राम गुड़ में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन्हे सुबह शाम खाने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।
माइग्रेन के लिए योग और प्राणायाम
योग प्राणायाम न केवल रोग निवारक है बल्कि ये आपका सर्वांगीण विकास कर सकते है। उदाहरणार्थ कपालभाति वात रोग जैसे माइग्रेन आदि के लिए उपयोगी है, इसके साथ ही यह पेट के अंदरूनी अंगो के लिए बेहतरीन एकमात्र व्यायाम है जो लीवर और किडनी से जुड़ी समस्या, डायबिटीज, अंडर वेट, ओवर वेट, व अन्य पेट से संबंधित रोगो में लाभ होता है। यह शरीर से विषाक्त व अन्य अपशिष्ट निकल देता है, चेहरे पर ओज, तेज कांति और शरीर को ऊर्जावान और दिमाग को तनावमुक्त करता है।माइग्रेन की समस्या के लिए तीन खास उपयोगी योगासन मत्स्यासन, सेतु बंधासन और बालासन है। इनको करने के बाद आपको बहुत ज्यादा आराम महसूस होगा। कपालभाति, अनुलोम विलोम और भ्रामरी ऐसे प्राणायाम है जिनकी नियमित अभ्यास से आप माइग्रेन की समस्या को खत्म कर सकते है।
मत्स्यासन
पद्मासन में बैठे यदि पद्मासन में नहीं बैठ पेट है तो पैरो को आगे की ओर खोल कर बैठ जाएं और घुटनों को सीधा रखे। धीरे-धीरे पीछे झुकें और पूरी तरह पीठ पर लेट जाएं। बाएं पांव को दाएं हाथ से पकड़े और दाएं पांव को बाएं हाथ से पकड़ें। यदि आप पद्मासन में नहीं है तो हथेली को नीचे की तरफ रखते हुए हाथो को सीधा रखे।कोहनियों को जमीन पर टिका कर रखें। घुटने जमीन से सटे होनी चाहिए। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर लेकर जाएं। या हाथ के सहायता से भी आप अपने सिर को पीछे गर्दन की ओर कर सकते हैं।
सेतु बंधासन
पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद हाथों को बगल में रख लें। अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर कूल्हों के पास ले आएं।
हाथ जमीन पर ही रखाते हुए कूल्हों को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। अब कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं। पैरों को सीधा करें और विश्राम करें। इस प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं।
बालासन
अपनी एड़ी पर कूल्हों को रखते हुए एड़ियों पर बैठ जाएँ। आगे की ओर झुके और माथे को जमीन पर लगाये। हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें, हथेली आकाश की ओर धीरे से छाती से जाँघो पर दबाव दें।यह स्थिति है बालासन। धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे सीधा करते हुए प्रारंभिक स्थिति में आजाएं।
अनुलोम विलोम
सुखासन में बैठ जाए आंखे बंद कर सांसो पर ध्यान केंद्रित करे।अनुलोम-विलोम प्राणायाम में दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करे और बाएं छिद्र से सांस खींचे। सांस अंदर भरते समय आनंद की अनुभूति करे। अब दाएं नाक के छिद्र को बंद करे और बाएं छिद्र से सांस छोड़ें, अब पुनः बाएं नाक के छिद्र से सांस भरे और बाएं छिद्र को बंद करके दाएं से सांस बाहर निकालते है। पुनः यह प्रक्रिया दोहराएं। 5 से 45 मिनट तक अनुलोमविलोम का अभ्यास करे।
कपालभाति
ध्यान की मुद्रा में सुखासन में बैठ जाए आंखे बंद कर सांसो पर ध्यान केंद्रित करे। दोनों नोस्ट्रिल से सांस लें, जिससे पेट फूल जाए और पेट की पेशियों को बल के साथ सिकोड़ते हुए सांस छोड़ दें।
अब सहज ही सांस भरे, किसी प्रकार के बल का प्रयोग न करे। पुनः पेट की पेशियां भी स्वतः ही फैल जाएंगी। बल सांस छोड़ते में लगाए। पेट की पेशियों को बल के साथ सिकोड़ते हुए सांस छोड़ दें। 5 से 45 मिनिट तक था प्रक्रिया कर सकते है।
भ्रामरी
किसी भी आसन या आरामदायक अवस्था में बैठें।
आंखें बंद कर लें। दोनों कानों को अंगूठों से बंद कर लें। शेष उंगलियां आंखो पर रखते हुए गहरा सांस भरलें। श्वास छोड़ते समय ओम का उच्चारण नाक से करें मुंह बंद ही रखिएगा। इस प्रक्रिया को 10 से 15 बार करें।
माइग्रेन के लिए एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स
कान से कुछ दुरी पर आंखों ओर माथे अगल बगल जो थोड़ा गढ्ढे सी आकृति होती है उसे अपनीगंगूठे से दबाएं। दोनों हाथों की रिंग फिंगर के टॉप पर दबाने से आराम मिलता है।माइग्रेन के लिए पान मुद्रा
पान मुद्रा का अभ्यास प्रतिदिन 15 से 45 मिनट तक करें। माइग्रेन के दर्द से राहत मिलेगी।
पान मुद्रा करने के लिए बाएं हाथ के अंगूठे को दाएं हाथ के अंगूठे से और बाएं हाथ की तर्जनी उंगली को दाएं हाथ की तर्जनी उंगली से स्पर्श कराए। दोनो हाथो की शेष तीनों उंगलियां सीधी और एक-दूसरे से अलग रखें। हथेलियों की दिशा नीचे की ओर रखें।
डॉक्टर की मदद कब लें
जैसा की आपको पता है एलोपैथी में माइग्रेन का कोई स्थाई इलाज नहीं है लेकिन किसी भी आपातकाल की स्थिति में आप डॉक्टर के पास जा सकते है। एलोपैथी की मानसिक रोगो की दवाइयों के साथ समस्या यह है की जानवरो पर इनका ट्रायल संभज नहीं होता है, इससे होने वाले साइड इफेक्ट प्रायः अज्ञात है जिसके गंभीर परिणाम कई वर्षो बाद भी नजर आ सकते है। मानसिक रोगो की दवाएं लंबे समय में समस्या को और बढ़ा देती है और इन दवाओ की लत भी लग जाती है।
दर्द निवारण के लिए आमतौर पर लोग ऐस्पिरिन लेते है। जब तकलीफ ज्यादा हो, किसी स्वास्थ्य-सेवा प्रोफेशनल के मार्गदर्शन के बिना और 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को ऐस्पिरिन नहीं लेनी चाहिये। ऐस्पिरिन और इबुप्रोफेन उन व्यस्कों के लिये भी नहीं है जिनका अल्सर, लिवर अथवा गुर्दा से संबन्धित पेट की समस्याओं का कोई इतिहास है।
किसी भी प्रकार के दर्द-निवारक बारंबार लेने से माइग्रेन अधिक तकलीफदायक हो सकता है। आम तौर पर, यदि आप गर्भवती अथवा स्तनपान करवा रही हैं तो माइग्रेन की दवाओं से उपचार यथासंभव कम से कम रखा जाना चाहिये।







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