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विशुद्ध मनुस्मृति Download PDF

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ऋषि दयानंद द्वारा प्रचारित वैदिक विचारधारा ने सैकड़ों हृदय को क्रन्तिकारी विचारों से भर दिया । जो वेद उस काल में विचारों से भी भुला दिए गए थे ऋषि दयानंद ने उन हृदय को वेदों के विचारों से ओतप्रोत कर दिया और देश में वेद गंगा बहने लगी | ऋषि के अपने अल्प कार्य काल में समाज की आध्यात्मिक , सामाजिक , और व्यक्तिगत विचार धारा को बदल के रख दिया । ऋषि के बाद भी कही वर्षों तक यह परिपाटी चली पर यह वैचारिक परिवर्तन पुनः उसी विकृति की और लौट रहा है । और इसी दिकृति को रोकने के लिए वैदिक विद्वान प्रो ० राजेंद्र जी जिज्ञासु के सानिध्य में पंडित लेखराम वैदिक मिशन संख्या का जन्म हुआ है । | इस संस्था का मुख्य उद्देश्य वेदों को समाज रूपी शरीर के रक्त धमनियों में रक्त के समान स्थापित करना है । यह कार्य ऋषि के जीवन का मुख्य उद्देश्य था और यही इस संस्था का भी मुख्य उद्देश्य है । संस्था के अन्य उद्देश्यों में सम्लित है साहित्य का सुजन करना । जो दुर्लभ आर्य साहित्य नष्ट होने की और अग्रसर है उस साहित्य को नष्ट होने से बचाना और उस साहित्य को क्रम बद्ध तरीके से हमारे भाई और बहनों के समक्ष प्रस्तुत करना जिससे उनकी स्वाध्याय में रुचि बड़े और वे तुलनात्मक अध्यन कर सके जिससे उनकी स्वधर्म में रुचि बढ़े और अन्य मत मतान्तरों की जानकारी उन्हें प्राप्त हो और वे विधर्मियों द्वारा लगाये जा रहे विभिन्न आओपों का उत्तर दे सके विधर्मियों से स्वयं भी बचे और अन्यों की भी सहयता करें । संस्था का उद्देश्य है समाज के समक्ष हमारे गौरव शाली इतिहास को प्रस्तुत करना जिससे हमारा रक्त जो ठंडा हो गया है वह पुनः गर्म हो सके और हम हमारे इतिहास पुरुषों का मान सम्मान करें और उनके बताये गये नीतिगत मार्ग पर चलै | संस्था का अन्य उद्देश्य गौ पालन और गौ सेवा को बढ़ावा देना जिससे पशुओं के प्रति प्रेम दया का भाव बढ़े और इन पशुओं की हत्या बंद हो , समाज में हो रहे परमात्मा के नाम पर पाखण्ड , अन्धविश्वास , अत्याचार को जड़ से नष्ट करना और परमात्मा के शुद्ध वैदिक स्वरूप को समाज के समक्ष रखना हमारे युवा शक्ति को अनेक भोग विविन्न व्यसनों , एल कपट इत्यादि से बचाना । इन कार्यों को हम अकेले पूरा करने का सामर्थ्य नहीं रखने पर यह सारे कार्य है तो बड़े विशाल और व्यापक पर अगर संस्था को आप का साथ मिला तो बड़ी सरलता से पूर्ण किये जा सकते हैं हमारा समाजिक ढाचा ऐसा है की हम प्रत्येक कार्य की लिए एक दूसरे पर निर्भर है । आशा करते है की इस कार्य में आप हमारी तन मन से साहयता करेंगे । संस्था दवारा चलाई जा रही वेबसाइट www.aryamantavya.in और www.vedickranti.in पर आप संस्था दवारा स्थापित संकल्पों सम्बन्धी लेख पड़ सकते हैं और भिन्न - भिन्न वैदिक साहित्य को निशुल्क डाउनलोड कर सकते है । कृपया स्वयं भी जाये और अन्यों को भी सूचित करे यहीं आप की हवी होंगी इस यज्ञ में जो आप अवश्य करेंगे यही परमात्मा से प्रार्थना करते हैं । जिन सज्जनी के पास दुर्लभ आर्य साहित्य है एवं वे उसे संरक्षित करने में संस्था की सहायता करना चाहते हैं वो कृपया ptlekhan@gmail.com पर सूचित करें।
अष्टांगसंग्रह PDF डाउनलोड

विशुद्ध मनुस्मृति

लेखक/भाष्यकार प्रो. डॉ. सुरेंद्रकुमार
भाषा हिंदी
पन्ने 770
साइज 130MB
मूल्य 0


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